आज मैं आपलोग को Purana के बारे में बताने बाला हूँ ! धार्मिक ग्रन्थों के अनुसार प्राचीन काल में सिर्फ एक ही पुराण हुआ करता था ! जिसमे लगभग 100 करोड़ से भी ज्यादा श्लोक था ! लेकिन समय समय पर इसका संशोधन होता गया और धीरे – धीरे पूरण की संख्या में वृद्धि होता गया !
पुराण हमारे जीवन में काफी महत्त्व रखता है , पुराण के माध्यम से हमें जीवन जीने की सैली मिलती है ! हम लोगो को जन्म से लेकर मृत्यु तक शैली दिया गया है , की किस तरह से हम अपने जीवन में सफलता प्राप्त करेंगे ! हमारा खाना – रहना इत्यादि कैसा होना इत्यादि सारी जानकारी हमें पूरण के माध्यम से प्राप्त होता है !
पुराण (Purana) का रचनाकाल
पुराणों की रचना काल विवाद से घिरा हुआ है , लेकिन इनकी रचना छठी शताब्दी ईस्वी पूर्व से ही माना जाता है !
पुराण की संख्या
समय अनुसार पुराण में संसोधन होता गया और धीरे धीरे विस्तार होता गया ! संसोधन करते करते पूरण की संख्या 18रह गया ! जो 18 पुराणों के नाम ( 18 Puranas name in Hindi ) इस प्रकार हैं –
18 Puranas name in Hindi, 18 पुराणों के नाम
- ब्रह्म पुराण
- पद्म पुराण
- विष्णु पुराण
- वायु पुराण
- भागवत पुराण
- नारद पुराण
- मार्कण्डेय पुराण
- अग्नि पुराण
- भविष्य पुराण
- ब्रह्म वैवर्त पुराण
- लिङ्ग पुराण
- वाराह पुराण
- कूर्म पुराण
- स्कन्द पुराण
- ब्रह्माण्ड पुराण
- वामन पुराण
- मत्स्य पुराण
- गरुड़ पुराण
ब्रह्म ( Brahma Purana )
ब्रह्म पुराण को सभी पुराणों में प्रथम जाता है , वेदव्यास जी ने इसे सबसे पहले दो भागों से युक्त ब्रह्म पुराण का ही संकलन किया था !
इसमें श्लोक संख्या की संख्या लगभग 10 हजार है
पूर्व भाग –
- इस भाग देवताओं, असुरों और प्रजापतियों के उत्पत्ति की कथा दिया गया है
- भगवान सूर्य के वंश का वर्णन
- भगवान श्रीराम के अवतार की कथा
- चन्द्रवंश का वर्णन और भगवान श्रीकृष्ण का चरित्र वर्णन इत्यादि दिया गया है !
- पृथ्वी के समस्त द्वीपों,
- पाताललोक और स्वर्गलोक का वर्णन ,
- नरकों का वर्णन ,
- पार्वती जी के जन्म तथा विवाह की कथा ,
- दक्ष प्रजापति की कथा
उत्तर भाग –
- यमलोक का वर्णन तथा पितरों के श्राद्ध की विधि ,
- वर्णों तथा आश्रमों के धर्मों का निरूपण ,
- युगों का निरूपण ,
- प्रलय का वर्णन ,
- योग तथा सांख्य सिद्धान्तों का प्रतिपादन
पद्म पुराण ( Padma Purana )
पद्म पुराण पाँच खण्डों से युक्त है !
सृष्टि खण्ड –
- महर्षि पुलस्त्य द्वारा भीष्म को सृष्टि की उत्पत्ति तथा इतिहास का उपदेश ,
- पुष्कर तीर्थ का माहात्म्य ,
- ब्रह्म यज्ञ की विधि ,
- विभिन्न प्रकार के दान और व्रतों का निरूपण ,
- पार्वती जी का विवाह ,
- तारकासुर की कथा ,
- कालकेय दैत्य का वध ,
- ग्रहों के पूजन और दान की विधि
भूमि खण्ड –
- शिवशर्मा की प्राचीन कथा ,
- सुव्रत की कथा ,
- वृत्रासुर के वध की कथा ,
- पृथु, वेन और सुनीथा की कथा ,
- नहुष की कथा ,
- ययाति चरित्र ,
- राजा और जैमिनि संवाद ,
- अशोक सुंदरी की कथा ,
- हुण्ड दैत्य का वध ,
- विहुण्ड दैत्य का वध ,
- महात्मा च्यवन और कुञ्जल संवाद
स्वर्ग खण्ड –
- पृथ्वी सहित सम्पूर्ण लोकों की स्थिति और तीर्थों का वर्णन ,
- नर्मदा जी की उत्पत्ति की कथा और उनके तीर्थों का वर्णन ,
- कालिन्दी की कथा , काशी, गया और प्रयाग का माहात्म्य ,
- इन्द्रप्रस्थ की महिमा ,
- महर्षि भृगु के द्वारा भगवान विष्णु की परीक्षा इत्यदि का वर्णन है
विष्णु पुराण ( Vishnu Purana )
विष्णु पुराण में सभी शास्त्रों के सिद्धांत का संग्रह दिया गया है ! इसमें वेदव्यास जी ने वाराहकल्प का वृत्तांत कहते हैं !
विष्णु पुराण में श्लोक संख्या की संख्या 23 हजार है !
पूर्व भाग –
- देवताओं की उत्पत्ति ,
- समुद्र मंथन की कथा ,
- प्रजापति दक्ष के वंश का वर्णन ,
- ध्रुव तथा पृथु का चरित्र ,
- प्रह्लाद की कथा ,
- ब्रह्माजी के द्वारा देवता,
- मनुष्य आदि वर्गों के प्रधान व्यक्तियों को अलग अलग राज्याधिकार दिए जाने का वर्णन ,
- पृथ्वी, आकाश और पाताल नरकों का वर्णन मिलता है !
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