Argala Stotram ऋषि मार्कंडेय द्वारा देवी दुर्गा की प्रार्थना किया गया है ! Argala Stotram पूर्ण दुर्गा सप्तशती से पहले जप किया जाता है ! इस स्त्रोत्र में भक्त माँ की स्तुति कर रहे हैं और उनसे “रूपम” का आशीर्वाद देने के लिए कह रहे हैं, “रूपम” जिसका अर्थ है “रूप” अनिवार्य रूप से देवी से हमें स्वयं के साथ-साथ समृद्धि, प्रसिद्धि और जीत देने के लिए कह रहे हैं !
आज के इस अर्टिकल में आपको Argala Stotram पढने का सबसे आसान तरीका बताऊंगा और साथ ही इससे होने बाले लाभ को पूरी जानकारी देने वाला हूँ तथा साथ में आप सभी को मैं Argala Stotram Pdf भी देने वाला हूँ जिसे आप डाउनलोड करके पढ़ सकते है और उसका लाभ ले सकते है !
What is Argala Stotram in Hindi ?
मनुष्य जिन जिन कार्यों की अभिलाषा करता है, वे सभी कार्य अर्गला स्तोत्र के पाठ मात्र करने से पूरी हो जाती हैं ! समस्त कार्यों चाहे वो किसी भी क्षेत्र में हो सभी में विजय इस पाठ को करने से प्राप्त हो जाती है !
देवी कवच के माध्यम से पहले चारों ओर सुरक्षा का घेरा बनाया जाता है और उसके बाद अर्गला स्तोत्र से देवी भगवती से विजयश्री की कामना कीया जाता है ! अर्गला स्तोत्र अमोघ स्तोत्र है ! रूप, जय, यश देने वाला ! नवरात्रि में इसको पढ़ने का विशेष विधान और महत्व दिया गया है !
Argala Stotram
ॐ जयत्वं देवि चामुण्डे जय भूतापहारिणि।
जय सर्व गते देवि काल रात्रि नमोस्तुते।।1।।
मधुकैठभविद्रावि विधात्रु वरदे नमः।
ॐ जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।।2।।
दुर्गा शिवा क्षमा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।3।।
महिषासुर निर्नाशि भक्तानां सुखदे नमः।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।4।।
धूम्रनेत्र वधे देवि धर्म कामार्थ दायिनि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।5।।
रक्त बीज वधे देवि चण्ड मुण्ड विनाशिनि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।6।।
निशुम्भशुम्भ निर्नाशि त्रैलोक्य शुभदे नमः
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।7।।
वन्दि ताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्य दायिनि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।8।।
अचिन्त्य रूप चरिते सर्व शतृ विनाशिनि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।9।।
नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चापर्णे दुरितापहे।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।10।।
स्तुवद्भ्योभक्तिपूर्वं त्वां चण्डिके व्याधि नाशिनि
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।11।।
चण्डिके सततं युद्धे जयन्ती पापनाशिनि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।12।।
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि देवी परं सुखं।
रूपं धेहि जयं देहि यशो धेहि द्विषो जहि।।13।।
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि विपुलां श्रियं।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।14।।
विधेहि द्विषतां नाशं विधेहि बलमुच्चकैः।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।15।।
सुरासुरशिरो रत्न निघृष्टचरणेम्बिके।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।16।।
विध्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तञ्च मां कुरु।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।17।।
देवि प्रचण्ड दोर्दण्ड दैत्य दर्प निषूदिनि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।18।।
प्रचण्ड दैत्यदर्पघ्ने चण्डिके प्रणतायमे।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।19।।
चतुर्भुजे चतुर्वक्त्र संस्तुते परमेश्वरि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।20।।
कृष्णेन संस्तुते देवि शश्वद्भक्त्या सदाम्बिके।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।21।।
हिमाचलसुतानाथसंस्तुते परमेश्वरि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।22।।
इन्द्राणी पतिसद्भाव पूजिते परमेश्वरि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।23।।
देवि भक्तजनोद्दाम दत्तानन्दोदयेम्बिके।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।24।।
भार्यां मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीं।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।25।।
तारिणीं दुर्ग संसार सागर स्याचलोद्बवे।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।26।।
इदंस्तोत्रं पठित्वा तु महास्तोत्रं पठेन्नरः।
सप्तशतीं समाराध्य वरमाप्नोति दुर्लभं।।27।।
Argala Stotram Meaning in Hindi
मार्कण्डेयजी कहते हैं – जयन्ती मंगला, काली, भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा धात्री, स्वाहा और स्वधा इन नामों से प्रसिद्ध देवी! तुम्हें मैं नमस्कार करता हूँ, हे देवी! तुम्हारी जय हो!
प्राणियों के सम्पूर्ण दुख हरने वाली तथा सब में व्याप्त रहने वाली देवी! तुम्हारी जय हो, कालरात्रि तुम्हें नमस्कार है, मधु और कैटभ दैत्य का वध करने वाली, ब्रह्मा को वरदान देने वाली देवी! तुम्हें नमस्कार है!
तुम मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो। महिषासुर का नाश करने वाली तथा भक्तों को सुख देने वाली देवी तुम्हें नमस्कार है!
तुम मुझे सुन्दर स्वरुप दो, विजय दो और मेरे शत्रुओं को नष्ट करो। हे रक्तबीज का वध करने वाली! हे चण्ड-मुण्ड को नाश करने वाली!
तुम मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो। हे शुम्भ निशुम्भ और धूम्राक्ष राक्षस का मर्दन करने वाली देवी!
मुझको स्वरूप दो, विजय दो, यश दो और मेरे शत्रुओं का नाश करो। हे पूजित युगल चरण वाली देवी! हे सम्पूर्ण सौभाग्य प्रदान करने वाली देवी! तुम मुझे रूप दो, जय दो, यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो!
हे देवी! तुम्हारे रूप और चरित्र अमित हैं। तुम सब शत्रुओं का नाश करने वाली हो। मुझे रूप जय यश दो और काम क्रोध आदि शत्रुओं का नाश करो, पापों को दूर करने वाली चण्डिके!
इस संसार में जो भक्ति से तुम्हारा पूजन करते हैं उनको तुम रूप तथा विजय और यश दो तथा उनके शत्रुओं का नाश करो!
रोगों का नाश करने वाली चण्डिके! जो भक्तिपूर्वक तुम्हारी पूजा करते हैं उनको तुम रूप विजय और यश दो, तथा उनके शत्रुओं का नाश करो !
Argala Stotram Proccess in Hindi
- अर्गला स्तोत्र के करते समय सरसो या तिल के तेल का दीपक जलाएं
- चामुण्डा देवी का ध्यान करना चाहिए , उनसे संवाद करना चाहिए !
- देवी भगवती के अर्गला स्तोत्र का संकल्प लें और आप अपनी इच्छा देवी के समक्ष व्यक्त कर सकते हैं !
- इसमें तांत्रिक नहीं वरन मंत्र शक्ति का प्रयोग करना चाहिए !
- अर्गला स्तोत्र का यथा संभव तीन बार या सात बार पाठ करना चाहिए !
- यज्ञ काले तिलों से होता है , मधु यानी शहद की आहूति भी रहना चाहिए !
- अर्गला स्तोत्र का प्रात: काल या मध्य रात्रि पर पाठ करना चाहिए !
Argala Stotram Benefits in Hindi
- अर्गला स्तोत्र को पढ़ने से जीवन में धन और सफलता में वृद्धि होने लगता है !
- इस स्तोत्र के जाप से व्यापार में वृद्धि होती है ।इसलिए यह स्तोत्र उन लोगों के लिए अति महत्वपूर्ण है जिन्हें व्यापार में हानि हो रही हो !
- देवी अर्गला स्तोत्रके द्वारा एक स्वस्थ दिमाग के साथ स्वस्थ शरीर भी प्रदान होता है !
- इस स्तोत्र के जाप से व्यक्ति को जीवन में हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होता है !
- अर्गला स्तोत्र का पाठ करने से सारी नकारात्मकता और बुराइयाँ जीवन से दूर हो जाती है !
- यदि नियमित रूप से इस स्तोत्रम का पाठ किया जाये तो देवी दुर्गा आपको हमेशा सफल होने का आशीर्वाद बनी रहती है !
Argala Stotram Pdf Download
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