Ashtavakra Gita या अष्टावक्र संहिता अष्टावक्र द्वारा लिखी गई थी , जिसमें 20 अध्याय शामिल है और महाराजा जनक और ऋषि अष्टावक्र के बीच हुए संवाद भी शामिल है ! Ashtavakra Gita ऐसा ग्रन्थ है जो अद्वैत वेदान्त है , यह ऋषि अष्टावक्र और राजा जनक के संवाद के रूप में है ! भगवद्गीता, उपनिषद और ब्रह्मसूत्र के सामान इत्यादि अष्टावक्र गीता अमूल्य ग्रन्थ है ! इस ग्रन्थ में ज्ञान, वैराग्य, मुक्ति और समाधिस्थ योगी की दशा का विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है !
what is Ashtavakra Gita
ऋषि अष्टावक्र और महाराजा जनक के बीच हुए संवाद में , महाराजा जनक ने तिन सवाल अष्टावक्र से पूछे जो इस प्रकार –
पुरुष ज्ञान को कैसे प्राप्त हो ?
मुक्ति कैसे मिलेगी ?
तीसरा वैराग्य कैसे प्राप्त होगा ?
राजा जनक के पूछे हुए किन किन प्रश्नों का ऋषि अष्टावक्र ने बहुत ही सरलता से सुंदर तरीके से उत्तर का वर्णन किया है ,तो वही हम आ जाते हैं मुक्ति को चाहता है ! तो विषयों को विश के सामान छोड़ दें और क्षमा आ गया संतोष और सत्य को अमृत के समान सेवन करें यहां पर शब्दों का अर्थ बहुमूल्य है जिसका अर्थ जिसे खाने से व्यक्ति मर जाएगा !
विषय का अर्थ जिसे खाने से बार-बार मर जाए ! भोजन बार-बार महत्वाकांक्षा ईर्ष्या वासना जलन बार बार आने के कारण ही मरे हैं जीवन में कहीं जाना है तो मरने को ही जाना है मृत्यु को ही प्राप्त होना है !
हमारे भीतर आत्मा का है और क्या जाना है, फिर बचा सत्य सत्य के द्वारा ही परमात्मा से जुड़ना होता है ,तू नफरत भी है ना वायुना आकाश मुक्ति के लिए आत्मा को अपने को इन सब का साक्षी चैतन्य चाहिए तुम तो वह दिया हो ! जिससे यह जल अग्नि वायु आकाश पृथ्वी प्रकाशित हो रहे हैं ! तुम द्रष्टा हो इस बात को ग्रहण करो साक्षी बोलो इसी से होगा वैराग्य प्रश्न तो जनक राजा की तीन थी , किंतु सब का उत्तर एक ही में दे दिया ! स्वयं से अलग जान और चैतन्य में विश्राम कर कभी तू शांत और बंद मुक्त अर्थात मुक्त हो जाएगा !
मृत्यु किसे कहते हैं ?
जन्म से लेकर मृत्यु तक रोज ही तुम मरते हो जिसे हम जीवन कहते हैं, वह एक दसक मारने की प्रक्रिया है मृतक शरीर तो रोज खेल हो रहा है यह वह यह विषय रोज हमें थोड़ा थोड़ा मार रहे हैं ! यह विषय यह कामना है तो छेदो की तरह है इनसे हमारी ऊर्जा और आत्मा रोज बहती चली जाती है ! आखिर में शरीर वाला ही खड़ा खाली हो जाता है उसको हम मृत्यु कहते हैं !
अष्टावक्र कौन थे ?
अष्टावक्र एक हिंदू धर्म के प्रसिद्ध वैदिक संतो में से एक हैं, आचार्य और उन्हें उनके नाना थे उनके माता-पिता भी आचार्य अरुण के वैदिक पाठशाला में छात्र थे उनके पिता एक प्रसिद्ध विद्वान और ऋषि थे , जिन्होंने अष्टावक्र को जो वह अपनी मां के गर्भ में थे ! तब विभिन्न शिक्षकों का अर्थ समझाया था ऋषि अष्टावक्र ने अपनी गंभीर अवस्था में भी सभी महत्वपूर्ण वैदिक विषयों में अध्ययन किया !
एक बार उनके पिता जब ऐसे ही शिक्षाओं का ज्ञान दे रहे थे तब उनके पिता से गलती हुई जो गर्भ में पलने वाले शिष्यों ने उन्हें दर्शाए लेकिन इस रुकावट के कारण वह क्रोधित हुए और उन्होंने शिशु को अपंग शरीर के साथ पैदा होने का शाप दिया !
अष्टावक्र का शाब्दिक अर्थ 8 वक्र है, जिनका नाम 8 शारीरिक विकृतियों को दर्शाता है ,जिसके साथ उनका जन्म हुआ था अष्टावक्र का शाब्दिक अर्थ है !आज वक्त ऋषि अष्टावक्र जल्दी एक प्रतिष्ठित कृषि के साथ-साथ महाकाव्य कहानियों और पुराणों में मनाए जाने वाला चरित्र बन गया था अष्टावक्र महाकाव्य एक महाकाव्य है ! जो ऋषि अष्टावक्र की कथा प्रस्तुत करता है जो हिंदू ग्रंथों में पाया जाता है !
Download Ashtavakra Gita
डिस्क्लेमर :- Hindi Gyan किसी भी प्रकार के पायरेसी को बढ़ावा नही देता है, यह पीडीऍफ़ सिर्फ शिक्षा के उद्देश्य से दिया गया है! पायरेसी करना गैरकानूनी है! अत आप किसी भी किताब को खरीद कर ही पढ़े ! इस लेख को अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करे !
Ashtavakra Gita | Buy on Amazon |
- Bhawani Ashtakam Pdf Download in Hindi with Lyrics
- Ram Raksha Stotra Pdf Download in Hindi
- Sudarshan Kavach in Hindi Pdf Download
- Kala Bhairava Shtakam Pdf Download in Hindi with Lyrics