Bhagavata Purana इस कलि काल में सभी वेद पुराण में हिंदी समाज का सवसे लोकप्रिय पुराण है ! सैंकड़ो वर्षो से श्रीमद Bhagavata Purana हिन्दू समाज की धर्मीक ,सामाजिक और लौकिक मर्यादायों के स्थापना में पूर्ण भमिका निभाता आ रहा है !
यह पुराण वैष्णव समाज के सर्व प्रमुख धर्मिक ग्रन्थ है ! भागवत पुराण में वेदों ,उपशदो ,और दर्शन शास्त्र के के गुण तथा रहस्मय विषय का वर्णन किया गया है ! इस ग्रन्थ को भारतीय धर्म और संस्कृति का उदय मानना कोई गलत नहीं होगा !
What is Bhagavata Purana ?
भागवत पुराण में सकाम कर्म ,निष्काम कर्म ,ज्ञान साधना , शिद्धि साधना ,भक्ति अनुग्रह ,मर्यादा ,सही ,गलत को निर्पित किया गया है ! यह विद्या का पूर्ण भण्डार है , यह पुराण सभी प्रकार का कल्याण करने वाला है ! ज्ञान , भक्ति और वैराग्य का भागवत पुराण महान ग्रन्थ है
भागवत पुराण स्कन्द
भागवत पुराण में 12 स्कन्द हैं जिसमे भगवान श्री विष्णु के अवतारों का वर्णन किया गया है ! नैनिसार ने और पौन्द्कर आदि ऋषियों के प्राथना पर बर्नोम हरसत के पुत्र शुद्ध जी ने इस पुराण के माध्यम से भगवन श्री क्रिशन के 24 अवतारों की कथा कही गयी है !
प्रथम स्कन्द
प्रथम स्कन्द में कुन्ती और भीष्म के भक्ति योग के वारे में बताया गया है ! और सन्त परिचित के कथा के माध्यम से ये बताया गया है ,की मरते हुए व्यक्ति को क्या करना चाहिए ! क्योकि ये प्रश्न केवल परिचित का ही नहीं वल्कि हम सरे जिव आत्मा का है , हमारे जीवन काल में यही सात दिन होता है हम लोग के जीवन काल में आठवां दिन तो होता ही नहीं है !
दूसरा स्कन्द
दूसरा स्कन्द में योग धरना के द्वारा शरीर त्याग का विधि बताया गया है ! भगवान का ध्यान – साधना कैसे किया किया जाता है ! ये सारा कुछ दूसरा स्कन्द में बताया गया है !
तृतीय स्कन्द
तृतीय स्कन्द में कपिल गीता का वर्णन है ,जिसमे भक्ति का मनुकमाना , काल की महिमा और देह में आलस्य पुरुषो की अधुगति का वर्णन मनुष्य योनी को प्राप्त हुई जिव की गति क्या होती है ! केवल भक्ति से ही इसका छुटकारा मिलेगा वो बताया गया है !
भक्ति के माध्यम से ये सरे मोह माया से छुटकर भटकी के मार्ग पर जाया सा सकता है , ये सब कुछ बताया गया हैं !
चतुर्थ स्कन्द
चतुर्थ स्कन्द में बताया गया है की यदि भक्ति सच्ची हो तो उम्र का बन्धन नहीं होता है ! ध्रुव का कथा से इसका प्रमाण मिलता है , की एक छोटा सा बच्चा कैसे भगवान के भक्ति में लीन होता है ! पूर्व जन प्रख्यान में इन्द्रियों का प्रवलता के वारे में भी इस स्कन्द में बताया गया है !
पंचम स्कन्द
इसमें भरत चरित्र के वारे में बताया गया है की भरत एक हिरन के मोह में पडकर कैसे अपना तिन जन्म गवा देते हैं ! तथा इस स्कन्द में ये बताया गे है की कोई भी कैसे अपने इन्द्रियों के बस में पडकर अपने को नष्ट कर देता है ! नरको का वर्णन इस स्कन्द में किया गया है ,की मरने बाद व्यक्ति अपने कर्मो के आधार पर कैसे कैसे नर्गो का रास्ता झेलना पड़ता है !
छठा स्कन्द
छठा स्कन्द में भगवान के नारायण शव्द का वर्णन है , नारायण सवद वास्तव में विचित्र शव्द है ! जिसे धारण करने के बाद कोई परास्त नहीं कर सकता ! उन्स्वान विधि एक संस्कार है जिसके वारे में इस स्कन्द में बताया गया है !
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