Bhawani Ashtakam पाठ माँ दुर्गा को समर्पित किया है , माँ Bhawani Ashtakam पाठ की रचना श्री शंकराचार्य जी ने किये हैं ! जो भी व्यक्ति इस भवानी अष्टकम का पाठ करता है उसे दुख से छुटकारा मिल जाता है , इसका नियमित पाठ करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है !
Bhawani Ashtakam Stortra in Hindi
- हे भवानी ! न माता, न पिता, न भाई बहन, न दाता, न पुत्र, न पुत्री, न सेवक, न स्वामी, न पत्नी, और व्यापार न व्यापार ही मेरे हैं ! हे भवानी माँ ! एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो, मैं आपकी शरण में हूँ ! (तुम्ही मेरा सहारा हो)
- हे भवानी माँ, मैं जन्म-मरण के इस अपार भवसागर में पड़ा हूँ, भवसागर के महान् दु:खों और कष्टों से भयभीत हूँ ! मैं पाप, लोभ और कामनाओ से भरा हूँ तथा घृणायोग्य संसार के बन्धनों में बँधा हूँ ! हे भवानी! मैं आपकी शरण में हूँ !
- हे भवानी! मैं न तो दान देना जानता हूँ और नाही ध्यानयोग मार्ग का ही मुझे कोई जानकारी है! तंत्र, मंत्र और स्तोत्र का भी मुझे कोई ज्ञान नहीं है ! पूजा तथा न्यास योग आदि की क्रियाओं को भी मेरे पास कोई जानकारी नहीं है ! हे देवि ! हे माँ भवानी! मैं आपकी शरण में हूँ ! केवल मुझे आपका ही सहारा चाहिए !
- हे भवानी माता! मै नही तो पुण्य जानता हूँ, और ना ही तीर्थों को, न ही मुक्ति का पता है और ना ही लय का ! हे मा भवानी ! भक्ति और व्रत का भी हमें कोई ज्ञान नहीं है ! हे भवानी ! एकमात्र आप ही मेरा गति हो, केवल मुझे आपका ही सहारा चाहिए !
- मैं कुकर्मी हूं, मै कुसंगी हूं (बुरी संगति में रहने वाला), मैं दुर्बुद्धि हूं, मै कुदास या दुष्टदास और हमेशा नीच कार्यो में ही प्रवत्त रहता हूँ , दुराचारपरायण, मैं कुत्सित दृष्टि हूं (कुदृष्टि) रखने वाला और सदा दुर्वचन बोलने वाला हूँ ! हे भवानी ! हम जैसे अधर्म की एकमात्र तुम्हीं गति हो, मैं आपकी शरण में हूँ ! केवल मुझे आपका ही सहारा चाहिए !
- हे माँ भवानी! मैं ब्रह्मा को , विष्णु को, शिव को, इन्द्र को भी नहीं जानता हूँ ! सूर्य, चन्द्रमा,तथा किसी अन्य देवता को भी नहीं जानता हूँ ! हे माँ भवानी ! मैं आपकी शरण में हूँ ! केवल मुझे आपका ही सहारा चाहिए !
- हे भवानी मां ! तुम विवाद, विषाद में, प्रमाद, प्रवास में, जल, पर्वतो में, शत्रुओ के मध्य में और वन (अरण्य) में सदा ही मेरा रक्षा करना, हे भवानी माँ ! मैं आपकी शरण में हूँ ! केवल मुझे आपका ही सहारा चाहिए !
- हे भवानी माता ! मैं हमेशा से ही अनाथ, दरिद्र, जरा-जीर्ण, रोगी रहा हूँ ! मै अत्यन्त दुर्बल, दीन, गूँगा, विपत्तिओं से घिरा रहने वाला तथा नष्ट हूँ ! हे भवानी माँ ! अब आप एकमात्र मेरा गति हो, मैं आपकी शरण में हूँ ! केवल मुझे आपका ही सहारा चाहिए !
Benefits of Bhawani Ashtakam
जो भी व्यक्ति इसका नियमित पाठ करता है , उसे दुख और निर्धनता नष्ट हो जाती है ! अगर आप बहुत दिनों से बीमार है , या आपके पास धन दौलत की कमी है , आप भवानी अष्टकम का पाठ करे . सारा दुख दर्द ख़त्म हो जायेगा ! ये बहुत ही चमत्कारी है ,आपको पुत्र की प्राप्ति नहीं हो राही है तो आप इस पाठ को कर सकते है !
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