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आज के इस लेख में आपको बहुत ही चर्चित लेखक का उपन्यास के बारे में बताने जा रहा हूँ जिसका नाम Gaban है , Gaban मुंशी प्रेमचंद द्वारा लिख गया उपन्यास है ! मुंशी प्रेमचंद को उर्दू और हिंदी के भारतीय लेखकों में से एक थे, जिन्होंने उपन्यास के क्षेत्र में अपना योगदान देते हुए अनेकों यथार्थवादी बहुचर्चित और प्रसिद्ध उपन्यास लिखे है !
Gaban सरांश
ये कहानी है रमानाथ की जहाँ उसके परिवार में उसके पिता ,माता और उसके दो छोटे भाई है ! पिता दया नाथ सरकारी नौकर हैं <तनख्वाह कम है लेकिन उपरी कमाई अच्छी खाशी है ! लेकिन आज तक किसी से कोई भी रिश्वत नहीं लिया है ! गहर की आम सुविधाएँ सारा कुछ आसानी से उपलव्ध है ! लेकिन वह अपने बड़े बेटे के कारण हमेशा परेशान रहता था क्योंकि कोई काम तो करता नहीं था और ना ही घटना था हर वक्त बस अपने दोस्तों के साथ मौज मस्ती ही करता रहता था !
पिता के नौकरी के वजह से अच्छा खासा नाम भी हो गया था ! जिस कारण वही के एक महाशय दीनदयाल ने अपनी बेटी जालपा के विवाह का प्रस्ताव उनके बड़े बेटे के लिए भेजा !
दीनदयाल का तनख्वाह कम थी लेकिन ऊपरी कमाई से उन्होंने बहुत कुछ कमा लिया था , जिस कारण उसकी बेटी को खूब लाड प्यार से पाला गया ! जालपा को गहनों से बहुत लगाव था और उसे हमेशा से लगता था कि उसकी शादी में ससुराल से चंद्रहास जरूर आएगा ! रामनाथ के पिता शुरुआत में इस शादी को बहुत ही शांति और कम खर्च में करना चाहते थे , परंतु उनकी पत्नी ने उनके सामने जिद पकड़ ली कि कुछ तो खर्च करना ही होगा !
पत्नी ने उनके सामने जिद पकड़ ली कि कुछ तो खर्च करना ही होगा थोड़ा कर ले लेते हैं और लड़की वालों से जो भी मिलेगा वह कर्ज में चुका देंगे ! जब शादी की शुरूआत हुई तो खूब भाव खाने लगा , बोलने लगा खूब गहने चाहिए, बढ़िया साड़ी चाहिए ! बारात अच्छी से आना चाहिए !
जालपा दुखी थी क्योंकि उसकी बचपन की ख्वाहिश उसका चंद्रहार उन दिनों में कहीं नहीं था , उसने ससुराल में सभी से बोलना चालना बंद कर दिया था ! दूसरी तरफ जो दयनाथ ने कर्ज लिया था वे लोग रोजाना घर पर तगादे के लिए आने लगे जिसकी वजह से दयनाथ अपनी की गई गलतियों पर पछताने लगा !
अपने बेटे रामनाथ से बहू के कुछ कहने मांगने को कहा अपने बेटे रामनाथ से बहू के कुछ गहने मांगने को कहा कुछ दिनों के लिए तगादे वालों को चुप करा सकता था मैं तो इतना बड़ा चढ़ाकर जालपा के सामने अपने अमीर होने के लिए जो मार चुका था इस परेशानी को हल करने का एक तरीका निकाला और एक रात जालपा के सो जाने पर सारे गहने चुरा कर अपने पिता को दे दिए चोर चोरी करके ले गया !
यह काम एक बाप जैसा लग रहा था, जिसने कभी एक पैसा भी दूसरों से नहीं लिया ! वह आज अपने ही बहू के गहने रखे हुए था, वे गहने को ना वापस दे सकता है और ना ही पुलिस को बुला सकता था ! इस घटना से जालपा की मनु स्थिति और भी खराब हो गई और मैं वह अब बस अपने कमरे में ही पूरा दिन काट देती थी ना खाना खाती , और ना ही कहीं आती जाती थी ! रमानाथ का स्थिति बहुत ही खराब हो गई थी! उसने सोचा अब उसे नौकरी करनी होगी !
उसे अपने दोस्त के मदद से अच्छी नौकरी भी मिल गई ! और नौकरी ऐसी विख्यात जगह पर मिला , कि शहर का शायद ही कोई व्यापारी हो जो रमानाथ जानता ना हो, बाजार में घूमने निकले तो एक सुनार ने अपनी दुकान पर बुला लिया और गहने दिखाने लगा !
माना करने के बावजूद उसने एक न सुनी और बस कहता रहा कि आप गहने ले जाइए ! पैसा कौन सा कहीं भागे जा रहे हैं ! उसे इस कर्ज की कोई भी चिंता नहीं थी , उसे बस जालपा के चेहरा हस्सी देखना था जब जालपा ने इनको देखा ! तो लगा जैसे किसी बच्चे को उसका खोया हुआ खिलौना मिल गया हो , जालपा के चेहरे की चमक और मुस्कान ने रमानाथ के हृदय को बहुत सुकून पहुंचा दिया ! जब गहने आए तो जालपा घर पर रूकती ही ना थी किसी के यहां से बुलावा आए तो सबसे पहले सज धज कर अच्छे से जाने लगी !
जल्दी उसकी बहुत सारी मित्र भी बन गई और इन्हीं में से एक थी उनकी सबसे खास मित्र रतन थी , जो बाहर आने जाने के कारण अधिकतर पैसा खर्च होने लगा है, इतना बचा ही नहीं पाता था कि कर्ज भी चुका सकें बाजार में सुनारों को पता लगे तो एक सुनार तो सब कुछ लेकर रमानाथ के घर ही पहुंच गया !
उसने सरकारी पैसे वाली बात को तो नकार दिया है लेकिन दरोगा जी से पूछने लगा कि क्या रमानाथ कहां पर है ! दरोगा जी ने फोन काट दिया उस लगा इससे छोटी सी गवाही दिलबा कर डकैती वाली केस को सॉल्व कर लेंगे ! इसके बदले में अच्छी नौकरी अच्छी जिंदगी जीने का लालच और पुराने वाले केस को बंद करवाने का आश्वासन दिया जो कि कभी लिखा ही नहीं किया जब घर पर इस खबर को लेकर पहुंचा , तो पता चला कि जालपा को तो पहले ही पता लग गया है कि रमानाथ प्रयाग में है जब उससे पूछा गया कि तुम्हें कैसे पता लगा ! तो जालपा ने कहा कि मैं सतरंज की एक चाल चली थी !
वापस लाने के लिए प्रयाग जाने की तैयारी कर रही थी , लेकिन उसे क्या पता था कि प्रयाग में तो पुलिस किसी और प्लानिंग में लगा है ! लोग इनकी डर के मारे गवाही नहीं देते इन लोगों ने बहुत से लोगों के घर उजाड़ दिए कुछ ही दिनों बाद जब जालपा भी देवीदीन के घर पहुंच गई तो उसे सब बताएं गया तो उसे जब जालपा ने ठान लिया है कि वह उसे ऐसा नहीं करने देगी !
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