How to File an FIR | FIR कैसे लिखवाते है ! [HINDI]

How to File an FIR ! किसी अपराध की सूचना जब पुलिस को दी जाती है तो उसे FIR यानी First Information Report कहते है ! ये सूचना लिखित में होनी चाहिए या फिर इसे लिखित में बदला गया हो ! FIR CRPC 1973 के अनुसार चलती है ! FIR संगीन अपराधो में होती है यानी जो बड़े अपराध होते है ! सिर्फ उन्ही में लिखवाई जाती है !
नमस्कार दोस्तों आप सभी का मेरे इस वेब ट्रिक्स हिंदी में बहुत बहुत स्वागत है ! आज मैं आप सभी को बताने वाला हूँ ! FIR क्या है , कैसे लिखवाई जाती है , अगर पुलिस ऑफिसर आपकी FIR लिखने से मना कर दे तो आप क्या कर सकते है ! इसके आलावा FIR से जुड़े आपके अधिकार क्या-क्या है ?

How to File an FIR | FIR कैसे लिखवाते है!

शिकायत कर्ता अपराधिक क्षेत्र पर क्षेत्राधिकार रखने वाले पुलिस थाने में जाकर थानाप्रभारी को अपनी शिकायत दर्ज करा सकता है ! अगर शिकायत फ़ोन पे की गयी है तो तो शिकायत कर्ता को बाद में जाकर थाना में शिकायत का पंजीकरण करवाना चाहिये ! अगर थाना प्रभारी थाने में मौजूद नही है तो उस समय थाणे में मौजूद सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते है!

अगर थाना प्रभारी शिकायत दर्ज करने से मना करे तो क्या करे ?

ऐसा होने पर पुलिस के वरिष्ठ अधिकारिओ को आप शिकायत कर सकते है ! पुलिस अध्यक्ष या जिला अध्यक्ष को भी आप शिकायत कर सकते है ! और कानून के मुताबिक सभी अपराधो में FIR करवाना अनिवार्य है !
पुलिस थाने और अस्पताल से हर आदमी का पाला कभी न कभी जरुर पड़ता है ! कम जानकारी और क़ानूनी पहलु की अनदेखी से आपका केस मजबूत होते हुए भी आपको मार खानी पड़ती है ! तो आइये जानते है ऐसे शुरूआती कुछ क़ानूनी प्रक्रिया के बारे में जो FIR से शुरू होती है 
किसी भी अपराध की शिकायत करने जैसे ही आप थाने में जाते है , तो आपसे अपराध की जानकारी देने को कहा जाता है ! इसमें अपराध का समय , अपराध की जगह , मौके की स्थिति के बारे में जानकारी पूछी जाती है और ये सभी जानकारिया डेली डायरी में लिखी जाती है ! इस डायरी को रोजनामचा भी कहाँ जाता है ! बहुत से अनजान लोग इसे ही FIR समझ लेते है ! और पूरी तरह से संतुष्ट हो जाते है ! लेकिन इससे आपका मकसद हल नही होता है , और इस बात की कोई गारंटी नही होती है की आपके मामले पर पुख्ता कार्यवाही होगी ! इसलिए आप जब भी FIR करवाए तो आप FIR को एक कॉपी ले, और ये आपका अधिकार है ! FIR दर्ज करने में लापरवाही और देरी के लिए भी आप जिम्मेदार अधिकारी की शिकायत कर सकते है !

FIR की पहचान कैसे करे ?

FIR की पहचान के लिए उसपे एक FIR नंबर भी दर्ज होता है , जिससे आगे इस नम्बर से मामले में कार्यवाही की जा सके ! और यहाँ पर ये भी ध्यान में रखने वाली है की FIR दर्ज करवाने के लिए कोई भी फीस या पैसा नही लगता है ! और अगर पुलिस अधिकारी पैसे की मांग करता है तो इसकी शिकायत आप बड़े पुलिस अधिकारी से कर सकते है !

FIR करवाते समय किन बातो का ध्यान रखना चाहिए?

  • FIR जल्दी दर्ज करवानी चाहिए !
  • FIR दर्ज करवाने में देर होती है तो इसका उल्लेख FIR में करवाना चाहिए !
  • अगर आप शिकायत मौखिक रूप से दे रहे है तो थानाप्रभारी आपकी शिकायत को लिखेगा और आपको समझाएगा !
  • कार्बन सीट से शिकायत की चार कॉपी होनी चाहिए !
  • शिकायत को साफ़ और आसन से शब्दों में लिखा जाना चाहिए ! तकनिकी के चलते उसमे जटिल शब्दों का प्रयोग नही करना चाहिए !
  • ध्यान रखे की FIR दर्ज करवाते समय आपके आने जाने का समय डेली डायरी में लिखा होना चाहिए !

FIR में मुख्य रूप से क्या – क्या जानकारियाँ देनी चाहिए ?

  • आप किस समता में जानकारी दे रहे है ?
  • अपराध का दोषी कौन है ?
  • अपराध किसके खिलाफ किया गया है ?
  • अपराध होने का समय क्या था ?
  • अपराध किस जगह पर हुआ था ?
  • अपराध किस तरीके से हुआ था ?
  • अपराध के समय कौन गवाह थे ?
  • और अपराध से होने वाले नुकसान क्या है ?

ये सारी की सारी की चीज़े आपको एक FIR में लिखवानी पड़ती है ! ये सभी प्रक्रिया पूरी होने के बाद आपको शिकायत को आपको ध्यान से पढ़ना चाहिए और उसके बाद उसपे दस्खत कर देने चाहिए ! थानाप्रभारी इसे अपने रिकॉर्ड में रखेगा ! और शिकायत कर्ता का ये अधिकार है की शिकायत का एक कॉपी उसे भी मिले , और इसके लिए शिकायतकर्ता को कोई शपथ पत्र या फीस देने की जरूरत नही होती है !

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