Kali Puran Pdf Download in hindi ! Kali Puran Benefits

युद्ध या संहार देवी Maa Kali को माना जाता है , शक्ति के कई स्वरुप हैं लेकिन उसमे से पहला स्वरुप माँ Kali का होता है ! दस स्वरूपों में से माँ काली सर्वप्रथम आते हैं ! इस काली पुराण को पढने के बाद सफल जीवन के साथ-साथ मानवमात्र के वास्तविक लक्ष्य-परमात्मतत्त्व की प्राप्ति होता है तथा जन्म मरण से मुक्त होने का उपाय और विविध साधन बड़े ही रोचक, सत्य और शिक्षाप्रद कथाओं के रूप में वर्णन किया गया है !

काली नाम क्यों पड़ा ?

शुंभ -निशुम्भ के से जब युद्ध हो रहा था ,तब देवी देवताओ को उनको सामना करना बहुत ही मुश्किल हो रहा था , तब एक देवी ने उससे युद्ध करने को सोचा ! और जब शुंभ -निशुम्भ युद्ध के समय उसका बद्ध हुआ तो उस देवी के शारीर से एक बहुत ही तेज पुंज बहार निकला था ! और इसी वजह से उनका रंग काला पड़ गया , तभी से उन्हें काली कहा जाने लगा !

काली पुराण के फायदे

  • इनका पूजा से भय का नाश हो जाता है , यानि की जो भी व्यक्ति इनका पूजा करते है उनके अन्दर का भय या डर बिल्कुल ख़त्म हो जाता है !
  • जो एक बार भी इस कारिनका पुराण का पाठ करता है वह सभी कामनाओं को प्राप्त करके अमृतत्व अथति देवत्य को प्राप्त करता है !
  • आरोग्य की प्राप्त होता है , आपके शरीर के अन्दर सारे रोग बिकार का नष्ट हो जाता है ! विलक्षण पुरुष इसके अध्ययन से कृतकृत्य हो जाता है !
  • इसके अध्ययन तथा श्रवण करने वाला पुरुष परम सुखी तथा लोक में बलवान् और दीर्घ आयु वाली भी हो जाता हैं !
  • अपने शत्रुओ पर नियंत्रण पा लेना !

काली पुराण कथा

महिषासुर नामक दानव था , जो माँ कालि का सर्वश्रेष्ठ भक्तो में से एक था ! ऐसा मन जाता है की असुर बहुत ही मायावी हुआ करता था , वो अपनी माया से अनेकों रूप को धारण कर सकता है ! एक बार की बात है महिषासुर ने अपनी माया से स्त्री रूप बदलकर कात्यन ऋषि के शिष्य को मोहित करने का कोशिश किया और इसमें वो सफल भी गए ! और जैसा की आप जानते हैं की किसी भी ऋषि या उनके भक्तो के लिए उसका सबसे बड़ा धर्म किसी भी स्त्री से दूर रहना होता है !

स्त्री से साधू महात्मा लोग काफी दूर भागते है ! लेकिन महिषासुर ने अपनी चल में कामयाब हो गया और कात्यन ऋषि के शिष्य को उस लड़की के सम्पर्क में आने से उसका ऋषि धर्म नष्ट हो गया ! इससे गुस्सा होकर कात्यन ऋषि के शिष्य ने कमंडल से जल उठाया तथा उसे श्राप दे दिया , की जिस तरह से तुम एक नारी रूप धारण करके मुझे फंसाया , मेरा ऋषि धर्म को नष्ट किया ! एक दिन तेरा भी वद्ध एक नारी ही करेगी ! इससे महिषासुर को बहुत ही पछतावा होने लगा की उसने सोचा ये क्या कर दिया , एक ऋषि को अपमान कर दिया , एक ऋषि का धर्म नष्ट कर दिया ! और दुश्री तरफ उसे ये ये भी चिंता होने लगी की उसे एक नारी के द्वारा बद्ध होगा !


वो अपने वो इस दर भयभीत था की अगर किसी नारी के द्वारा उसका बद्ध होगा तो ये जमाना उसे क्या कहेगा ? उसने इस दर भयभीत होकर माँ काली का उपासना करने लगा ताकि माँ काली के उपासना से उसे मुक्ति मिल सके ! तब माँ काली ने प्रकट होकर बोला मै तुमसे और तेरा उपासना से प्रशन्न हुई , बोलो क्या मागते हो !


महिषासुर को ख़ुशी का ठिकाना न रहा ,की मेरे सामने देवी माँ उपस्थित हैं ! महिसासुर ने बोला हे माते मेरे पास सब कुछ ,बस मुझे देवताओ के जैसा इज्जत प्राप्त नहीं कर पता है कहते है महिसासुर बड़ा ही चालक दानव था वो मौत के मुह में जाने वाला था फिर भी उसे इज्जत की पड़ी थी ! उसने बोला माते मुझे ऐसा वरदान दीजिये की हर यज्ञ या जहाँ देवताओ को पूजा जाता है वहां मेरा भी पूजा हो ! तब माँ काली बोले यज्ञ का सारा स्थान तो देवताओ के लिए पक्की है ! लेकिन मै तुम्हे इतना वरदान दे सकता हूँ ,की जहा पर मेरा पूजा होता हो वहां पर तेरा भी हो सकता है !


उसके लिए मै जब तेरा वध करूँगा तब ये सम्भव हो सकता है ! माते ने बोला की काली का रूप धारण करके तुझे और तेरे साथियों का वध करंगा ! और जैसा की कालिका पुराण में लिखा गया है , ठीक उसी प्रकार जहाँ काली का मूर्ति होता है वहां पर महिषासुर का भी शारीर होता है !

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