Kamaveri | Cauvery Water Dispute के बारे में बहुत ही कम लोगो को पता होगा! जिसे हम हमने किताबो में कावेरी जल विवाद के नाम से जानते है! इस जल विवाद को लेकर तमिलनाडु और कर्नाटक में खूब दंगे हुए ! आज हम विस्तार से आपको इसके बारे में बताने वाले है ! इसके बारे में आपने सामान्य ज्ञान के किताब में बहुत पढ़ा होगा ! परन्तु इसके बारे में विस्तार से आपको पता नही होगा!
यह विवाद लगभग 80 के दशक से चल रहा है! आपने इसके बारे में आपने टीवी में अखबारो में बहुत देखा होगा! इसके बारे 16 फरवरी 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने अपना अंतिम निर्णय सूना दिया ! यह फैसला 3 जजों के बेंच ने सुना दिया !
क्या है कावेरी जल विवाद?

कावेरी (Kamaveri) जल विवाद कोई साधारण जल विवाद नही था, यह एक ऐतिहासिक जल विवाद था हो सालो से तमिलनाडु और कर्णाटक के बीच में चल रहा था ! यह विवाद लगभग 1924 से चल रहा था!
साल 1924 में मैसूर रियासत ने सिचाई के लिए कृष्ण राजा सागर बांध बनाने का निर्णय लिया, जिसका मद्रास रियासत ने विरोध किया! दोनों के बीच में एक समझौता हुआ जिसमे 75 फीसदी पानी तमिलनाडु और पुदुचेरी को और 23 फीसदी पानी कर्णाटक को और 2 फीसदी पानी केरल को दिया जायेगा !
उसके बाद के दशको में जब भी तमिलनाडु को पानी की कमी हुयी तो, तमिलनाडु और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों के बीच में बात हुयी और पानी दिया गया! जब भी यह विवाद नही सुलझता था, तब इंदिरा गाँधी और नरसिंहा राव इस मामले में हस्तक्षेप करते थे! और कर्नाटक को पानी मिलता था!
धीरे – धीरे कावेरी में पानी घटता चला गया, उसके बाद AIADMK सत्ता में आई, इसके बाद बातचीत के दौर असफल होने लगे! केंद्र में प्रधानमंत्री रहे नरसिम्हा राव ने विवाद को सुलझाने एक लिए एक ट्रिब्यूनल की मांग की, विवाद को सुलझाने के लिए केंद्र ने 1990 में एक ट्रिब्यूनल बनाया!
1991 में ट्रिब्यूनल ने तमिलनाडु को 205 TMC पानी देने को कहा, नाखुश कर्नाटक इसके खिलाफ एक कानून लाया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया! सुप्रीमकोर्ट ने ट्रिब्यूनल का फैसला जारी रखा, और कर्नाटक को पानी छोड़ने को कहा!
उस समय के कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने सुप्रीमकोर्ट के फैसले को मानने से इंकार कर दिया और पानी छोड़ने को मना कर दिया! लेकिन बाद में उन्हें पानी छोड़ना पड़ा! और इस विवाद के हिंसा में 18 लोगो को मौत हो गयी! 2 हजार तमिलभाषी लोग बंगलुरु छोड़कर चले गये! जो बाद में वापस आये!
साल 1998 में प्रधानमंत्री के अगुयाई में कावेरी नदी प्राधिकरण की स्थापना की गयी! साल 2007 में प्राधिकरण ने अपना अंतिम फैसला दिया! प्राधिकरण ने कावेरी बेसिन में 740 TMC FEET पानी पाया! उसके बाद उसने सबको इस हिसाब से पानी का वितरण किया !
- तमिलनाडु को 419
- कर्नाटक को 270
- केरल को 30
- पुडुचेरी को 7
TMC पानी देने का फैसला किया! तमिलनाडु और कर्नाटक दोनों ही इस फैसले से नाराज थे, और दोनों ही कोर्ट पहुच गये और न्याय की मांग की !कर्नाटक का कहना था की उन्हें आवश्कता के अनुसार पानी नही मिलता है, जिससे उन्हें सिचाई के कार्यो में बहुत कठिनाई होती है!
इसके बाद यह मामला सुप्रीमकोर्ट गया और तमिलनाडु के हिस्से का पानी घटा दिया है!
Kamaveri | कावेरी नदी का आर्थिक महत्व
नदी की लंबाई | 802 किमी |
नदी घाटी क्षेत्र | 88,000 स्क्वायर किमी |
नदी घाटी में आबादी | 7.3 करोड़ |
नदी घाटी में पड़ने वाले राज्य | कर्नाटक, तमिलनाडु |
- ‘कावेरी’ नाम ही इस नदी के महत्व को दर्शाता है। का और विरी को जोड़कर ‘कावेरी’ बना है, जिसका अर्थ है ‘जो अपने बहने की जगह पर समृद्धि लाती है’।
- कावेरी डेल्टा को ‘तमिलनाडु का फूड बास्केट’ माना जाता है क्योंकि राज्य का दो तिहाई अनाज वहीं उपजता है।
- तमिलनाडु में 39 फीसदी और कर्नाटक में 11 फीसदी सिंचित क्षेत्र कावेरी से पानी लेते हैं।
- एशिया का पहला जलविद्युत बांध कावेरी पर शिवनासमुद्रा में बना था। इस बांध से बेंगलुरु को बिजली मिलती है।
Kamaveri | कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण
- प्रधिकरण में एक अध्यक्ष , एक सचिव और 8 सदस्य शामिल किये गये है!
- प्राधिकरण के अध्यक्ष का कार्यकाल ५ वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होगा!
- प्राधिकरण के अध्यक्ष का जल संसाधन प्रबंधन और अंतर-राज्य जल विवाद को सँभालने के अनुभव के साथ वरिष्ठ और प्रतिष्ठत इंजिनियर होना भी जरुरी है !
- आठ सदस्यों में से प्रत्येक दो पूर्णकालिक और अंशकालिक सदस्य होंगे !
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