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आज फिर हाजिर हैं एक और प्रेमचन्द के बहू चर्चित उपन्यास के साथ जिसका नाम Karmbhumi (कर्मभूमि) है !
Karmbhumi Summary in Hindi
उपन्यास की शुरुआत होती है काशी के धनवान व्यक्ति से जिसका अमरकांत नाम है, इन्होंने दो विवाह किया था और दोनों विवाह करने पर भी अद्भुत जीवन व्यतीत किया करते थे यानी इनको दोनों पत्नी में से किसी से भी संतुष्टि प्राप्त नहीं थी ! यह सुखी नहीं थे और दोनों पत्नियों से उन्हें क्रमश एक पुत्र अमरकांत और पुत्री नैना की प्राप्ति होती है ! दोनों एक दूसरे को बहुत ज्यादा प्रेम करते हैं भाई बहन ने उनके बहुत ज्यादा प्रेम रहता है, दोनों एक दूसरे की इज्जत करते है, एक दूसरे का सम्मान करते हैं !
लाला अमरकांत अत्यंत लोभी व्यक्ति होते हैं, वह सिर्फ पैसों के लिए जीते हैं, और उसे फालतू चीजे पर पैसा खर्च करना अच्छा नहीं लगता है ! अमरकांत को लगता है कि उनके व्यापार में लग जाए और उनके व्यापार को आगे बढ़ाने में उनकि मदद करे , ना कि शिक्षा के लिए स्कूल जाए ! और पढ़ाई करें इस चक्कर में वह समर को पैसे नहीं देते थे ! उसके स्कूल की फीस के लिए उनके मित्र सलीम खान बहुत ही मददगार साबित होता है ! सलीम हमेशा मकान की मदद करता है ! एक बार की बात है जब गुरु जी ने उसकी फीस मांग रहे होते हैं , तो वहां से चला जाता है ! क्योंकि उनके पास फिस देने के लिए पैसा नहीं होता है !
सलीम ने उनसे पूछा कि तुम फीस नहीं लाए हो क्या ? तो वो रोने लगता है ! सलीम ने वहां पर उसे बहुत समझाया कि कोई बात नहीं हम हैं तुम्हे चिन्ता करने की कोई जरूरत नहीं है ! यहां पर प्रेमचन्द ने मित्रत्रा को भली भांति समझाया है ! हिंदू मुस्लिम होने के बावजूद दोनों में कोई भेद भाव नहीं होता है ! दोनों सच्ची दोस्ती का मिशाल बंकर उभरते हैं !
अमरकांत बहुत ही सामाजिक विचारधारा का स्वाभिमानी व्यक्ति था ! वह किसी से एक पैसा भी लेना उसे पसंद नहीं था, वो अपने मेहनत पर भरोसा करता था ! वह चरखा काटकर और व्यापारियों के हिसाब किताब रखकर जो भी पैसे मिलते थे, वह अपनी शिक्षा पर व्यय निकालता था और अपनी शिक्षा के लिए खर्च करता था ! अमरकांत को सादी हो जाता है !
अमरकांत स्वाभिमानी
अमरकांत सम्मान की रक्षा के लिए वह अपने घर तक का त्याग कर देता है, वही सुखदा के लाख समझाने पर भी वह अपने ससुराल में नहीं जाता और वहां से भी एक फूटी कौड़ी नहीं लेता ! इस तरह से हम कह सकते हैं कि उपन्यास का नायक अमरकांत स्वाभिमानी व्यक्ति है ! यहां तक सकीना से आकर्षण उत्पन्न होने पर भी वह अपनी सामाजिक मर्यादा में अड़ा रहता है , और उसे विवाह नहीं करता ! देश के प्रति संकल्प होता है जिस बात को मान लेता है उसे पूरा करता है इसका उदाहरण है कि उपन्यास में वह मुन्नीबाई को लाख कोशिश करके भी जेल से छुड़वा लाता है !
उसके पिता उसे बार-बार स्वतंत्रता आंदोलन में होने वाले चुनावों में भाग लेने के लिए मना करती हैं ,परंतु वह जब एक बार ठान लेता है ,तो वह इस संबंध में अपने पिता की बात को भी नहीं मानता और जुलूस में भाग लेता है !
गांधीवादी विचारधारा
अमरकांत गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित है और हो भी क्यों नहीं क्योंकि यह उपन्यास स्वतंत्रता आंदोलन के समय लिखा गया था और उस समय चारों और गांधीवादी विचारों का प्रभाव प्राप्त करें कि वे समय-समय पर अंग्रेजो के खिलाफ आंदोलन करता है तथा स्वदेशी हुआ बनाता है खादी के कपड़े पहनता है बस 1 सूट काटकर के कपड़ा बनता है यहां तक की गली गली में जाकर कपड़े बेच कर अपनी आजीविका भी चलाता है !
समाज में व्याप्त कुरीतियों को भी जैसे छुआ छूत आदि को भी नहीं मानता और वह उसी गांव में जाकर उन लोगों के बीच रहते हैं जो कि अछूत माने जाते हैं ,सामाजिक कुरीतियों को ऐसे सामाजिक कुरीतियों को जड़ से समाप्त कर देना चाहता है देशभक्ति की भावना उस में कूट-कूट कर भरी हुई है !
सत्यवादी अमरकांत
सत्यवादी अमरकांत एक सत्यवादी रहती है हमेशा सत्य का साथ देता है यही कारण है कि जा काले खां चोरी का माल लेकर उसकी दुकान में आता है तो जब उसे सच्चाई का पता चलता है तो वह ना तो उसका मान लेते हैं बल्कि भला बुरा कह कर उसे दुकान पर भी बाहर निकाल देता है और दूसरी और जब उसे मुन्नीबाई की सच्चाई का पता चलता है तो उसके लिए वह उसी के लिए भी रिहा करवा लाता है !
वह ताकि किसान शोषण एवं लगान बंदी आंदोलन जैसा कि हम सब जानते हैं कि इस उपन्यास में बताया गया था कि किसान मतलब उनके खेत में अनाज हो या पैदावार हो या ना हो उनको लगा देना ही पड़ता था वह उनकी जो स्थिति है वह कैसी भी है वह घर में खाना खा रहे हैं या नहीं खा रहे हैं पर उनको जो लगान देना ही पड़ता था तो जो अमरकांत उन्होंने गांव के किसानों का लगान को माफ कराने के लिए कई आंदोलन चलाया था यह कर्मभूमि उपन्यास में अमरकांत ने ऐसा किया था कि किसानों के शोषण एवं लगान बंदी आंदोलन चलाकर और उनके लगान को माफ करवाया था !
फिर 5 व्यक्तियों के कमेटी बन जाती है लोग गांव की मदद के लिए कमेटी बनाते हैं और फिर किसानों की लगान भी माफ कर दिया जाता है ! हर एक समस्या को निपटाने के लिए एक विचार व्यक्त करते हैं ,और यह पांचों लोग मिलकर उसका समाधान करते हैं ! जिसकी वजह से सभी वर्ग में संघर्ष से जात पात और छुआछूत का जो मामला था अब धीरे-धीरे समाप्त होने लगा तथा एकता संभव समाज का निर्माण हुआ ! और उस गांव में जितने भी समस्याएं जितनी भी कुरीतियां फैली हुई थी , वह धीरे-धीरे समाप्त होने लगी थी !
Karmbhumi Pdf Download
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