Lingashtakam क्या है, इसका क्या अर्थ होता है, और हम आपको Lingashtakam Lyrics भी Hindi में दे रहे है, और इसके बारे में आपको सारी बाते विस्तार से बताने वाले है! हमने आपको बहुत से धार्मिक ग्रंथो के PDF Files को दिया है, अगर आप सभी लोग इसका भी PDF File पाना चाहते है तो मुझे कमेंट में बोल दीजियेगा, हम आपके लिए Lingashtakam PDF File को उपलब्ध करवा देंगे!
Lingashtakam का अर्थ क्या होता है?
लिंगाष्ठकम एक शिव मन्त्र है, इस मन्त्र का हर के पद संस्कृत में शिव- लिंग की महिमा का वर्णन करता है और विस्तृत रूप से उसकी महानता को भी बताता है! यह शिव पंचाक्षरी मंत्रो के साथ, भगवान् शिव के सबसे अधिक प्रचलित मंत्रो की सूचि में समाविष्ट है!
शैव पुजारी Lingashtakam मन्त्र को शिवरात्रि के रातो के समय पढ़ना अत्यधिक शुभ मानते है! ऐसा कहा जाता है की जो शिव भक्त इस दिव्य मन्त्र को पूर्ण भक्ति के साथ शिव लिंग की पूजा करते समय जप करेंगे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है! लोगो का ऐसा मानना है की शिव लिंगाष्ठकम के मंत्रो में सबसे पहला पद वास्तव में बहुत ही महत्वपूर्ण है, जो कुछ इस प्रकार से है!
ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगं
निर्मलभासित शोभित लिंगम् ।
जन्मज दुःख विनाशक लिंगं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ १ ॥
इस श्लोक का अर्थ है:- जो ब्रम्हा विष्णु और सभी देवगणों के इष्टदेव है, जो परम पवित्र, निर्मल, तथा सभी जीवो की मनोकामना को पूर्ण करने वाले है, और जो लिंग के रूप में बराबर जगत में स्थापित हुए है, जो संसार के संहारक है और जन्म और मृत्यु के दुखो का विनाश करते है, ऐसे भगवान सदा शिव – लिंग को नित्य निरंतर प्रणाम है!
लिंगाष्ठकम के पाठ का क्यों करे
शिवलिंग भगवान शंकर का ही स्वरूप है, जो शिव भक्त है वो शिवलिंग की पूजा जरुर करता है, और लिंगाष्ठकम शिवलिंग की स्तुति करने का और शिवभक्तो के मनोकामना पूरा करने का सर्वोतम और लोकप्रिय अष्टक है! इसके छंद का प्रवाह बड़ा ही मधुर है, इसका शब्द आपको देखने में बड़े बड़े लगते है, लेकिन इसे आप अलग – अलग करके पढ़े इससे आपको बहुत आसानी होती है! और आपको लगेगा किस इससे सरल कोई और मन्त्र हो ही नही सकता है!
जो साधक पूर्ण श्रध्दा और आस्था के साथ लिंगाष्ठकम का पाठ करता है उसकी सभी मनोकामना स्वय भगवान शिव पूरी करते है! लिंगाष्ठकम के नित्य पाठ से पाप और दरिद्रता का नाश होता है! ज्ञान की वृद्धि और भगवन शिव की भक्ति प्राप्त होती है!
लिंगाष्ठकम लिरिक्स हिंदी और अर्थ
ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगं
निर्मलभासित शोभित लिंगम् |
जन्मज दुःख विनाशक लिंगं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् || 1 ||
अर्थ :- जो ब्रम्हा विष्णु और सभी देवगणों के इष्टदेव है, जो परम पवित्र, निर्मल, तथा सभी जीवो की मनोकामना को पूर्ण करने वाले है, और जो लिंग के रूप में बराबर जगत में स्थापित हुए है, जो संसार के संहारक है और जन्म और मृत्यु के दुखो का विनाश करते है, ऐसे भगवान सदा शिव – लिंग को नित्य निरंतर प्रणाम है!
देवमुनि प्रवरार्चित लिंगं
कामदहन करुणाकर लिंगम् |
रावण दर्प विनाशन लिंगं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् || 2 ||
अर्थ :- सभी देवताओं और मुनियों द्वारा पुजित लिंग जो काम का दमन करता है तथा करूणामयं भगवान् शिव का स्वरूप है जिसके द्वारा रावण के अभिमान का भी नाश हुआ उन सदाशिव लिंग को मैं प्रणाम करता हूँ।
सर्व सुगंध सुलेपित लिंगं
बुद्धि विवर्धन कारण लिंगम् |
सिद्ध सुरासुर वंदित लिंगं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् || 3 ||
अर्थ :- जो सभी प्रकार के सुगंधित पदार्थों द्वारा सुलेपित लिंग है जो कि बुद्धि का विकास करने वाला है तथा सिद्ध- सुर (देवताओं) एवं असुरों सभी के लिए वन्दित है उन सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम।
कनक महामणि भूषित लिंगं
फणिपति वेष्टित शोभित लिंगम् |
दक्ष सुयज्ञ निनाशन लिंगं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् || 4 ||
अर्थ :- जो स्वर्ण एवं महामणियों से विभूषित एवं सर्पों के स्वामी से शोभित सदाशिव लिंग तथा जो कि दक्ष के यज्ञ का विनाश करने वाला है।आपको हमारा प्रणाम।
कुंकुम चंदन लेपित लिंगं
पंकज हार सुशोभित लिंगम् |
संचित पाप विनाशन लिंगं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् || 5 ||
अर्थ :- लिंग जो कुंकुम एवं चन्दन से सुशोभित है। कमल हार से सुशोभित है। सदाशिव लिंग जो कि हमें सारे संञ्चित पापों से मुक्ति प्रदान करने वाला है उन सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम।
देवगणार्चित सेवित लिंगं
भावै-र्भक्तिभिरेव च लिंगम् |
दिनकर कोटि प्रभाकर लिंगं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् || 6 ||
अर्थ :- सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम जो सभी देवों एवं गणों द्वारा शुद्ध विचार एवं भावों के द्वारा पुजित है तथा करोडों सूर्य सामान प्रकाशित हैं।
अष्टदलोपरिवेष्टित लिंगं
सर्वसमुद्भव कारण लिंगम् |
अष्टदरिद्र विनाशन लिंगं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् || 7 ||
अर्थ :- आठों दलों में मान्य तथा आठों प्रकार के दरिद्रता का नाश करने वाले सदाशिव लिंग जो सभी प्रकार के सृजन के परम कारण हैं आप सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम।
सुरगुरु सुरवर पूजित लिंगं
सुरवन पुष्प सदार्चित लिंगम् |
परात्परं परमात्मक लिंगं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् || 8 ||
अर्थ :- देवताओं एवं देव गुरू द्वारा स्वर्ग के वाटिका के पुष्पों द्वारा पुजित परमात्मा स्वरूप जो कि सभी व्याख्याओं से परे है उन सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम।
लिंगाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेश्शिव सन्निधौ |
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ||
LINGASHTAKAM ENGLISH LYRICS
Brahma Muraari Surarchita Lingam Nirmala Bhaashita Sobhitha Lingam Janmaja Dhukha Vinaasaha Lingam Tatpranamaami Sadaashiva Lingam
Devamuni Pravaraarchita Lingam Kaama Dahana Karunaakara Lingam Ravana Darpa Vinaasaha Lingam Tatpranamaami Sadaashiva Lingam
Sarva Sugandha Sulepitha Lingam Buddhi Vivaardhana Kaarana Lingam Siddha Suraasura Vandhitha Lingam Tatpranamaami Sadaashiva Lingam
Kanaga Mahaamani Bhooshitha Lingam Panipati Veshthitha Sobitha Lingam Daksha Suyajna Vinaasana Lingam Tatpranamaami Sadaashiva Lingam
Kunkuma Chandhana Lehpitha Lingam Pankaja Haara Susobhitha Lingam Sanchitha Paapa Vinaashana Lingam Tatpranamaami Sadaashiva Lingam
Deva Ganaarchita Sevitha Lingam Bhavair Bhakhi Bhirevacha Lingam Dinakara Koti Prabhaakara Lingam Tatpranamaami Sadaashiva Lingam
Ahshta Dalopari Veshthitha Lingam Sarva Samudbhava Kaarana Lingam Ahshta Daridra Vinaasana Lingam Tatpranamaami Sadaashiva Lingam
Suraguru Suravara Poojitha Lingam Suravana Pushpa Sadarchitha Lingam Paraath Param Paramatmaka Lingam Tatpranamaami Sadaashiva Lingam
Lingashtaka Midam Punyam Yah Pathet Sivasannidhau Sivaloka Mahaapnoti Sivehna Saha Modatheh
LINGASHTAKAM – TELUGU
బ్రహ్మమురారి సురార్చిత లింగం
నిర్మలభాసిత శోభిత లింగమ్ |
జన్మజ దుఃఖ వినాశక లింగం
తత్-ప్రణమామి సదాశివ లింగమ్ || 1 ||
దేవముని ప్రవరార్చిత లింగం
కామదహన కరుణాకర లింగమ్ |
రావణ దర్ప వినాశన లింగం
తత్-ప్రణమామి సదాశివ లింగమ్ || 2 ||
సర్వ సుగంధ సులేపిత లింగం
బుద్ధి వివర్ధన కారణ లింగమ్ |
సిద్ధ సురాసుర వందిత లింగం
తత్-ప్రణమామి సదాశివ లింగమ్ || 3 ||
కనక మహామణి భూషిత లింగం
ఫణిపతి వేష్టిత శోభిత లింగమ్ |
దక్ష సుయజ్ఞ నినాశన లింగం
తత్-ప్రణమామి సదాశివ లింగమ్ || 4 ||
కుంకుమ చందన లేపిత లింగం
పంకజ హార సుశోభిత లింగమ్ |
సంచిత పాప వినాశన లింగం
తత్-ప్రణమామి సదాశివ లింగమ్ || 5 ||
దేవగణార్చిత సేవిత లింగం
భావై-ర్భక్తిభిరేవ చ లింగమ్ |
దినకర కోటి ప్రభాకర లింగం
తత్-ప్రణమామి సదాశివ లింగమ్ || 6 ||
అష్టదళోపరివేష్టిత లింగం
సర్వసముద్భవ కారణ లింగమ్ |
అష్టదరిద్ర వినాశన లింగం
తత్-ప్రణమామి సదాశివ లింగమ్ || 7 ||
సురగురు సురవర పూజిత లింగం
సురవన పుష్ప సదార్చిత లింగమ్ |
పరాత్పరం పరమాత్మక లింగం
తత్-ప్రణమామి సదాశివ లింగమ్ || 8 ||
లింగాష్టకమిదం పుణ్యం యః పఠేశ్శివ సన్నిధౌ |
శివలోకమవాప్నోతి శివేన సహ మోదతే ||
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