नमस्स्कर दोस्स्तो
आज मै आप के लिए बहुत ही प्रसिद्ध उपन्यास लेकर आया हु , जिसका नाम है मैला अंचल ! मैला आँचल फनिस्वार नाथ रेनू के द्वारा लिखा गया है ! मैला आंचाल १९५४ में प्रकाशित हिंदी आंचलिक उपन्यास है , ये आंचलिक उपन्यास बिहार के पुर्र्निया जिले के एक छोटा सा गाव पर आधारित है !
आंचलिक उपन्यास क्या है ?
जिस उपन्यास में किसी प्रमुख राज्य के क्षेत्र का वर्णन उसके ही भाषा में किया हो , किसी क्षेत्र का जीवन ,रहन सहन ,खान पान ,बोल बिचार का वर्णन किया गया हो , आंचलिक उपन्यास कहते हैं !
मैला अंचल ” उपन्यास में लेखक ने गाँधी जी को साल १९४२ से लेकर निधन तक ‘मेरीगंज ‘ के जनजीवन और प्रिश्धितियाँ का पूरा वर्णन किये हैं
मैला अंचल ” सारांश
इस उपन्यास का नायक माने तो एक युवक डॉक्टर जिसका नाम प्रसान्त है , जो अपना शिक्षा पूरा करने के बाद डॉक्टर बनकर एक ग्रामीण को अपने कार्य क्षेत्र में चुनता है , यहाँ इन्होने एक मलेरिया से ग्रषित मरीज को इलाज के आता है ,लेकिन ग्रामीण लोगो के दुख ,दैन्य आभाव अज्ञान पिछड़ेपण और अंधविश्वास को देखकर डॉक्टर प्रशांत को यहाँ से जाने का दिल नहीं करता है , अपना जीवन इन गाव के सेवा में लगाने का निश्चय कर लेता है ! वहां रहकर वो ग्राम वासियों को सेवा किया, एवं रहते रहते वो गांव को समझाया बुझाया और सही रास्ते पर लाने की कोशिश में कामयाबी मिला ! उपन्यास का प्रमुख नायक डॉक्टर प्रशांत को माना जा सकता है , क्योंकि वो वहां रहकर सभी लोगो का सेवा किया और साक्षात्कार किया !
उपन्यास को दो भागों में बांटा गया है , प्रथम भाग 44 परिछेद है, एवं दूसरे भाग में 23 परिछेद है और इस उपन्यास में कुल 67 परिछेद है !
इस उपन्यास में फणीश्वरनाथ रेणु ने कहा कि मेरीगंज में फूल भी है, सुल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है ! लेकिन मै लोगो के प्यार में इतना आ गया की यहाँ के लोगो के प्यार से अपने आप को बचा नहीं पाया ! या फिर यूँ बोल सकते है की मै किसी से दमन बचा निकल नहीं पाया ! इस उपन्यास में गरीबी ,रोग , भुखमरी ,धर्म के आड़ में हो रहे व्यकितगत शोषण ,एवं अंधविश्वास का वर्णन किया गया है !
मैला आँचल के प्रमुख पात्र
मैला आँचल में लगभग २८० पात्र हैं
- डाक्टर प्रसान्त – डाक्टर प्रशांत अज्ञात कुल के हैं , क्योकि उसकी माँ ने उसे हांड़ी में डालकर कोसी नदी में उसे बहा दिया था , कोई बहुत ही स्नेह्मई महिला ने उसे नहीं से लाया और उसका लालन पालन किया , इसने पटना मेडिकल कॉलेज में पढ़ता है और मेरीगंज को अपना कार्य क्षेत्र के रूप में चुना ! मेरीगंज में वो मलेरिया और कालाजार पर रेसुर्च के लिए आये थे ! वहा एक रोगी विश्व नाथ प्रसाद हैं जिसका बेटी कमला से डॉक्टर प्रशांत को प्यार हो जाता है !
- बलदेव – लोग इसे टुरवा कहते हैं ये चनान्पति के रहने वाला है ! बलदेव कुछ दिन तक आजोधी भगत का भैंस चराता है , लेंकिन बाद में वह मेरीगंज पहुँच जाता है
- कालीचरण – यह एक बहुत ही बहादुर नवयुवक है और ये बहुत ही दृढ विचार के है !
- विस्वनाथ प्रशाद – यह एक शोधक वर्ग से सवंधित पात्र है , कायस्थ टोली का मुखिया है तथा पारबंगा का तहसीलदार है !
- बावनदास – एक छोटा कद का व्यक्ति है , ये राजनितिक कार्य करता है !
- राम किरपाल सिंह – ये राजपूत टोली के प्रमुख हैं !
- जोतखी – यह ब्राह्मण टोली के प्रमुख हैं !
- खेलातन यादव – यह यादव टोली के प्रमुख हैं !
स्त्री पात्र
- लक्ष्मी – लक्ष्मी मठ के दासी हैं ,एवं मठाधीशों की वासना का शिकार भी होती है !
- कमला – विश्वनाथ प्रसाद की एक मात्र है जो डाक्टर प्रशांत से प्यार करती है !
- राम पियारी – ये एक फूहर किशोरी है ,
- फुलिया – मेरीगंज की निम्नजाति की एक जवान बेवा है जो आर्धिक कारणों से सहदेव मिसर से अबैध संबंध है वेचारी पैसा के आभाव में ये सब करती है !
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