महाकवि काली दास के अनुसार विश्व में कोई भी ऐसा प्राणी नहीं है जो स्तुति से प्रसन्न न होता हो ! इसलिए प्रत्येक देवी देवताओ को प्रसन्न करने के लिए विश्व में बहुत सारा स्त्रोत्र बना हुआ है ! स्तोत्र शव्द संस्कृत से बना है , जिसका अर्थ प्रसंसा करना होता है ! Mangal Chandika Stotra के द्वारा बहुत सारे कष्ट को दूर किया जा सकता हैं ! Mangal Chandika Stotra के पाठ से आप वशीकरण का समस्या को दूर कर सकते हैं !
व्यापारिक समस्या , गृह क्लेश ,विद्या की प्राप्ति ,मांगलिक दोष के समस्या के कारण दम्पति के विच हुए क्लेश को दूर किया जा सकता है !
What is Mangal Chandika ?
त्रिपुर्वत के समय ब्रम्हा और विष्णु के प्रेरणा से भगवान शिव ने ने देवी दुर्गा को प्रसन्न किया था ! और उनका जो भी रूप उत्पन्न हुआ , उसे ही Mangal Chandika कहते है ! मंगल सातवे द्वीप का अधिपति हुआ था ,और उसके द्वारा पूजा और अभीष्ट दान से भी यह Mangal Chandika कहलाती है !
“मंगल” हिंदी में “शुभ” या “आशीर्वाददायक” होता है, जैसे कि एक शुभ स्थान या एक आशीर्वाददायक अवसर। “चंडिका” हिंदी में “चंडिका” का मतलब है, जो एक प्रकार का प्राचीन भारतीय संगीत है। “स्तोत्र” हिंदी में “भजन” या “प्रार्थना” का मतलब है।
इसलिए, “मंगल चंडिका स्तोत्र” हिंदी में “शुभ चंडिका भजन” या “आशीर्वाददायक चंडिका प्रार्थना” कहा जा सकता है।
मंगल चंडिका स्तोत्र का मतलब क्या होता है ?
हिंदी में “मंगल चंडिका स्तोत्र” का अर्थ होता है “शुभ चंडिका भजन” या “आशीर्वाददायक चंडिका प्रार्थना”। इसमें “मंगल” शब्द का अर्थ है “शुभ” या “आशीर्वाददायक”, जो एक शुभ स्थान या एक आशीर्वाददायक अवसर होता है। “चंडिका” शब्द का अर्थ है “चंडिका”, जो एक प्रकार का प्राचीन भारतीय संगीत है। और “स्तोत्र” शब्द का अर्थ है “भजन” या “प्रार्थना”।
चंडिका स्तोत्र एक हिंदू धर्म में प्रचलित स्तोत्र है, जो भगवान शंकर को समर्पित होता है। इस स्तोत्र में, भगवान शंकर को शुभ चंडिका के रूप में स्मरण किया जाता है और उनसे आशीर्वाद मांगा जाता है। इस स्तोत्र को प्राचीन भारतीय संगीत के साथ गाया जाता है और इसे धार्मिक समारोहों और पूजाएँ में भी गाया जाता है। इस स्तोत्र का अर्थ है “शुभ चंडिका भजन” या “आशीर्वाददायक चंडिका प्रार्थना”।
चंडिका स्तोत्र में भगवान शंकर की शुभता, बुद्धि, शक्ति और स्वर्गीय गुणों को समर्पित किया जाता है। इस स्तोत्र को धार्मिक समारोहों और पूजाएँ में गाया जाता है, जैसे कि शंकर जयंती, शंकर अष्टमी और शंकर चतुर्थी। इसके अलावा, इसे धार्मिक समारोहों में भी गाया जाता है, जैसे कि लक्ष्मी पूजा और शंकर पूजा।
इस स्तोत्र में भगवान शंकर की शुभता, बुद्धि, शक्ति और स्वर्गीय गुणों को समर्पित किया जाता है। इसे धार्मिक समारोहों और पूजाएँ में गाया जाता है, जैसे कि शंकर जयंती, शंकर अष्टमी और शंकर चतुर्थी।
Mangal Chandika Stotra
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्वपूज्ये देवी मङ्गलचण्डिके ,
ऐं क्रूं फट् स्वाहेत्येवं चाप्येकविन्शाक्षरो मनुः !!
पूज्यः कल्पतरुश्चैव भक्तानां सर्वकामदः ,
दशलक्षजपेनैव मन्त्रसिद्धिर्भवेन्नृणाम् !!
मन्त्रसिद्धिर्भवेद् यस्य स विष्णुः सर्वकामदः ,
ध्यानं च श्रूयतां ब्रह्मन् वेदोक्तं सर्व सम्मतम् !!
देवीं षोडशवर्षीयां शश्वत्सुस्थिरयौवनाम् ,
सर्वरूपगुणाढ्यां च कोमलाङ्गीं मनोहराम् !!
श्वेतचम्पकवर्णाभां चन्द्रकोटिसमप्रभाम् ,
वन्हिशुद्धांशुकाधानां रत्नभूषणभूषिताम् !
बिभ्रतीं कबरीभारं मल्लिकामाल्यभूषितम् ,
बिम्बोष्टिं सुदतीं शुद्धां शरत्पद्मनिभाननाम् !
ईषद्धास्यप्रसन्नास्यां सुनीलोल्पललोचनाम् ,
जगद्धात्रीं च दात्रीं च सर्वेभ्यः सर्वसंपदाम् !
संसारसागरे घोरे पोतरुपां वरां भजे !
देव्याश्च ध्यानमित्येवं स्तवनं श्रूयतां मुने ,
प्रयतः संकटग्रस्तो येन तुष्टाव शंकरः !
शंकर उवाच रक्ष रक्ष जगन्मातर्देवि मङ्गलचण्डिके ,
हारिके विपदां राशेर्हर्षमङ्गलकारिके !
हर्षमङ्गलदक्षे च हर्षमङ्गलचण्डिके ,
शुभे मङ्गलदक्षे च शुभमङ्गलचण्डिके !
मङ्गले मङ्गलार्हे च सर्व मङ्गलमङ्गले ,
सतां मन्गलदे देवि सर्वेषां मन्गलालये !
पूज्या मङ्गलवारे च मङ्गलाभीष्टदैवते ,
पूज्ये मङ्गलभूपस्य मनुवंशस्य संततम् !
मङ्गलाधिष्टातृदेवि मङ्गलानां च मङ्गले ,
संसार मङ्गलाधारे मोक्षमङ्गलदायिनि !
सारे च मङ्गलाधारे पारे च सर्वकर्मणाम् ,
प्रतिमङ्गलवारे च पूज्ये च मङ्गलप्रदे !
स्तोत्रेणानेन शम्भुश्च स्तुत्वा मङ्गलचण्डिकाम् ,
प्रतिमङ्गलवारे च पूजां कृत्वा गतः शिवः !
देव्याश्च मङ्गलस्तोत्रं यः श्रुणोति समाहितः ,
तन्मङ्गलं भवेच्छश्वन्न भवेत् तदमङ्गलम् !
! इति श्री ब्रह्मवैवर्ते मङ्गलचण्डिका स्तोत्रं संपूर्णम् !
Mangal Chandika Stotra Benefits
Mangal Chandika Stotra के पाठ से विवाह एवं कार्य क्षेत्र के सभी वधाएं दूर होती है ! धन की समस्या , व्यापार की समस्या ,ग्रह कलेश , धन की प्राप्ति आदि में चमत्कारी रूप से लाभकारी होता है ! अपने कामना अनुसार इसका पाठ करना अत्यंत लाभप्रद होता है ! भगवान शिव ने इस महिमा का उलेख किया है !
चंडिका स्तोत्र को गाने से लोग भगवान शंकर के आशीर्वाद की मांग करते हैं और उनसे शुभता, बुद्धि, शक्ति और स्वर्गीय गुणों को समर्पित करते हैं। इससे मन शांति और आत्मसमर्पण मिलता है और धार्मिक संस्कृति में, इसका माना जाता है कि स्तोत्र गाने से भगवान शंकर का आशीर्वाद मिलता है।
जिन लोगो की कुंडली में मंगली दोष है , जिन लोग को विवाह एवं कार्य क्षेत्र में मंगल ग्रह के कारण वधाए बनते हो , तो यह स्तोत्र उन लोगो के लिए लाभकारी होता है !
पति को वश में रखने के लिए 43 दिनों तक Mangal Chandika Stotra का विधि विधान से पाठ करने पर पति चाहे जितना भी दिल – दिमाग से दूर हुआ हो उसे वशीभूत किया जा सकता है ! इस प्रयोग के लिए अनुष्ठान को पति की तस्वीर के सामने प्रतिदिन पण का पत्ता रखकर कियाता है !
Mangal Chandika Stotra का शुभारम्भ शुक्ल पक्ष में किया जाना चाहिए , इसे करने के लिए पान के एक पत्ते पर चन्दन और केसर को मिलकर रखे ! उसे लाल कपडे पर स्थापित करें ,माँ दुर्गा की प्रतिमा के चरणों में रख दे ! उसके बाद 43 दिन तक इस पाठ को करें !
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