Markandeya Purana आकार में छोटा है इसके 137 अध्याय में लगभग 9000 श्लोक हैं ! मार्कंडेय ऋषि द्वारा इस कथन से इसका नाम Markandeya Purana पड़ा , यह कुरान वस्तुतः दुर्गा चरित्र एवं उनके लिए प्रसिद्ध है ! सभी पुराण के सभी लच्छनों को अपने भीतर समेटे हुए हैं , इसमें ने मानव कल्याण हेतु सभी तरह के सामाजिक आध्यात्मिक विषयों का प्रतिपादन किया है !
मार्कन्डेय पुराण क्या है ?
मंत्र विद्या के प्रसंग में पत्नी को बस में करने के उपाय भेज कुरान में बताए गए हैं ! गृहस्थ धर्म की उपयोगिता विद्रोह और अतिथियों के प्रति कर्तव्यों का निर्वाह विवाह के नियमों का विवेचन स्वस्थ और सब के नागरिक बनने के उपाय सदाचार का महत्व सत्संग की महिमा कर्तव्य परायणता त्याग तथा पुरुषार्थ पर विशेष महत्व Markandeya Purana में दिया गया है !
Markandeya Purana में सन्यास के बजाय गृहस्थ जीवन में निष्काम कर्म पर विशेष बल दिया गया है ! मनुष्यों को सन्मार्ग पर चलने के लिए नर्क का भय और पुनर्जन्म के सिद्धांतों का सहारा लिया गया है ! करुणा से प्रेरित कर्म को पूजा-पाठ और जब तब से श्रेष्ट बताया गया है ईश्वर प्राप्ति के लिए अपने भीतर ओमकार अर्थात उनकी साधना पर जोर दिया गया है , यद्यपि इस पुराण में योग साधना और उससे प्राप्त होने वाली स्त्रियों का भी वर्णन किया गया है !
मार्कन्डेय पुराण का विशेषता
संयम द्वारा इंद्रियों को वश में करने की अनिवार्यता बताई गई है , विविध कथाओं और रूपक थानों द्वारा द्वारा तक का महत्व प्रतिपादित किया गया है ! इस पुराण में किसी हिंदू देवी देवता को अलग से विशेष महत्व नहीं दिया गया है ! भगवान ब्रह्मा ,भगवान विष्णु, भगवान सूर्यदेव ,अग्निदेव ,देवी दुर्गा ,सरस्वती देवी आदि का समान रूप से आगर किया गया है !
सैनिकों की परा विद्या ब्रह्मा वादियों की सांसद ज्योति जैनियों का कैवल्य पौधों की पौध हवा गति संतों का दर्शन ज्ञान योग योग का प्रकरण में धर्म शास्त्रियों की स्मृति और योगाचार्य का विज्ञान आदि सभी को सूर्य भगवान के विभिन्न रूपों में स्वीकार किया गया है !
मार्कंडेय पुराण में मदालसा के कथा नाथद्वारा जहां ब्रह्मांड धर्म का उल्लेख किया गया है ! वहीं अनेक राजाओं के स्थानों द्वारा क्षत्रिय राजाओं के सहस्त्र कर्तव्य परायणता तथा राजधर्म का सुंदर विवेचन किया गया है ! बलराम के प्रसंग द्वारा और क्रोध तथा अहंकार के दुष्परिणामों पर वशिष्ठ और विश्वामित्र के कथानक द्वारा प्रकाश डाला गया है !
मार्कन्डेय पुराण के 5 भाग हैं
- पहले भाग में जैमिनी ऋषि को महाभारत के संबंध में चार संकाय हैं जिनका समाधान विंध्याचल पर्वत पर रहने वाले धर्म पक्षी करते हैं !
- दूसरे भाग में तुलसी के माध्यम से धर्म अर्थात सृष्टि की उत्पत्ति प्राणियों के जन्म और उनके विकास का वर्णन किया गया है !
- तीसरे भाग में ऋषि मार्कंडेय अपनी स्थिति स्थिति को पुराण के मूल प्रतिपाद्य विषय सूर्य उपासना और सूर्य द्वारा समस्त सृष्टि के जन्म की कथा बताते हैं !
- चौथे भाग में देवी भागवत पुराण में वर्णित दुर्गा चरित्र और दुर्गा सप्तशती की कथा का विस्तार से वर्णन किया गया है !
- पाचवें भाग में 1 स्थानों चरित्र के आधार पर कुछ विशेष राजवंशों का उल्लेख किया गया है !
मार्कन्डेय ऋषि कौन है ?
ऋषि मार्कान्द्दु और ऊसकी की कोई सन्तान नहीं था ! तब उन लोगो को बहुत तन्ना सुनने को मिलता था , एक दिन दोनों ने सोचा भगवान से कोई मदद लिया जाय ! तो दोनों ने शिव का आराधना करना शुरू कर दिए ! एक शिव उन दोनों के समक्ष आकर बोले हम तुम्हारी अराधना से प्रशन्न हुए बोलो क्या वरदान चाहिए !
तब मार्कान्द्दु ने बहुत ही हर्ष से कहा कहा की हमें पुत्र सुख चाहिए ! इसपर शिव ने कहा की तुम्हारे भाग्य में पुत्र सुख नहीं है , लेकिन तुम यही चाहते हो तो मै तुम्हे दो वरदान देता हूँ , उसमे से किसी एक को चुनना होगा ! मार्कान्द्दु ऋषि ने कहा ठीक है !
शिव ने बोला एक पुत्र ऐसा होगा जो धार्मिक , शुशील तो होगा लेकिन उसका उम्र मात्र 16 वर्ष होगा ! और दुश्र ऐसा की उसका उम्र तो लम्वी होगा लेकिन वो बड़ा ही क्रूर होगा , तुम्हारा एक भी बात नहीं मानेगा !
मार्कान्द्दु और उसकी पत्नी ने तुरन्त पहले बाले के लिए हाँ कर दिए ! कुछ दिन उन्हें पुत्र की प्राप्त हुई ,और उसका नाम मार्कन्डेय रखा गया ! तब से दोनों खूब खुश रहने लगे ! लेकिन जैसे ही 16 वर्ष हुआ ! उदास रहने लगा , उसपर मार्कन्डेय ने चिन्ता का कारन पूछने पर सारा कुछ उसे बताया गया !
इसपर मार्कन्डेय ने बोला चिंता करने की कोई बात नहीं है , उसने शिव जी को उपश्ना करने चला गया ! इधर मृत्यु को हरने वाला यम मार्कन्डेय को प्राण हरने के लिए आ गया ! लेकिन वो तो शिव के उपशना में लीन थे ! इसपर यम को बहुत गुस्सा आया !
मार्कन्डेय को उपाशना से हटाने के लिए बहुत प्रयास किया लेकिन वो तो उपाशना लीन थे ! मार्कन्डेय को शिव के मूर्ति से हटाने कोशिश बहुत किया , लेकिन सव असफल रहा ! फिर मार्कन्डेय पर प्रहार करना शुरू कर दिए , जब मार्कन्डेय को चोट का अहशास हुआ , तो वो चिलाने लगे !
शिव को बहुत गुस्सा आया और उसने आकर यम को ही मौत का घाट उतार दिए ! इसपर सरे देवता भयभीत हो गए ,शिव से प्राथना करने लगे की ! यम का प्राण को वक्स दें लेकिन शिव ने किसी की नहीं सुने ! मार्कन्डेय ने शिव से कहा की यम को क्षमा कर दें ! और इस प्रकार मार्कन्डेय को अपना जीवन मिल गया !
मार्कंडेय पुराण के फायदे
इस पुराण में भारतवर्ष का विस्तृत स्वरूप उसके प्राकृतिक वैभव और सौंदर्य के साथ प्रकाशित किया गया है ! इस पुराण में धन उपार्जन के उपाय का वर्णन पानी विद्या द्वारा प्रस्तुत किया गया है ! और राष्ट्रहित में धान त्याग की प्रेरणा भी दी गई है आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार शरीर विज्ञान का सुंदर विवेचन की इस पुराण में किया गया है ! मोक्ष के लिए आत्म ज्ञान और आत्म दर्शन को अवश्यक माना गया है ! जो राजा प्रजा की रक्षा नहीं कर सकता वह नरक का भागी होता है !
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