Navarna Mantra में माँ दुर्गा का उपासना किया जाता है , दुर्गा माता का यह Navarna Mantra बेहद शक्तिशाली है ! इस मंत्र को पढने से माँ दुर्गा का बड़ी कृपा होता है ! जो इस मंत्र को सच्चे दिल से करता है उसपर माँ दुर्गा का खुश रहते हैं और उनका हर मनोकामना पूर्ण होता है !
आज के इस अर्टिकल में आपको Navarna Mantra स्तुति के पढने का सबसे आसान तरीका बताऊंगा और साथ ही इससे होने बाले लाभ को पूरी जानकारी देने वाला हूँ तथा साथ में आप सभी को मैं Navarna Mantra Pdf भी देने वाला हूँ जिसे आप डाउनलोड करके पढ़ सकते है और उसका लाभ ले सकते है !
Contents
“ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
“ॐ” एक ऐसा शब्द है जो सभी मन्त्रो के आगे लगाया जाता है ! क्योकि सभी मंत्रो के आगे ॐ शब्द लगाने से दोष से मुक्ति हो जाता है !
नवार्ण मंत्र में नौ देवताओ का स्तुति मिलता है जो हर कष्ट और दुखो से निवारण करता है ! नवार्ण मंत्र में नव शब्द का अर्थ “नव” “अर्ण” यानी अक्षर या शब्द अर्थात नवशब्दो से बाना है वो नवार्णमन्त्र ! इस मंत्र के हर एक शब्द को गिनते करने पर नव होते है , इसलिए इसे नवार्णमन्त्र कहते है !
नवार्ण मंत्र में “ऐं :” सरस्वती का बीज मन्त्र है !
नवार्ण मंत्र में “ह्रीं :” महालक्ष्मी का बीज मन्त्र है !
नवार्ण मंत्र में “क्लीं :” महाकाली का बीज मन्त्र है !
नवार्ण मंत्र के प्रथम बीज मंत्र “ऐं” से माता दुर्गा की प्रथम शक्ति माता शैलपुत्री की उपासना किया जाता है, इस बीज मंत्र से “सूर्य ग्रह” को नियंत्रित करने की शक्ति प्रदान है !
नवार्ण मंत्र के द्वितीय बीज मंत्र “ह्रीं” से माता दुर्गा की द्वितीय शक्ति माता ब्रह्मचारिणी की उपासना किया जाता है, इस बीज मंत्र से “चन्द्र ग्रह” को नियंत्रित करने की शक्ति प्रदान है !
नवार्ण मंत्र के तृतीय बीज मंत्र “क्लीं” से माता दुर्गा की तृतीय शक्ति माता चंद्रघंटा की उपासना किया जाता है, इस बीज मंत्र से “मंगल ग्रह” को नियंत्रित करने की शक्ति प्रदान है !
नवार्ण मंत्र के चतुर्थ बीज मंत्र “चा” से माता दुर्गा की चतुर्थ शक्ति माता कुष्मांडा की उपासना किया जाता है, इस बीज मंत्र से “बुध ग्रह” को नियंत्रित करने की शक्ति प्रदान है !
नवार्ण मंत्रके पंचम बीज मंत्र “मुं” से माता दुर्गा की पंचम शक्ति माँ स्कंदमाता की उपासना किया जाता है, इस बीज मंत्र से “बृहस्पति ग्रह” को नियंत्रित करने की शक्ति प्रदान है !
नवार्ण मंत्र के षष्ठ बीज मंत्र “डा” से माता दुर्गा की षष्ठ शक्ति माता कात्यायनी की उपासना किया जाता है, इस बीज मंत्र से “शुक्र ग्रह” को नियंत्रित करने की शक्ति प्रदान है !
नवार्ण मंत्र के सप्तम बीज मंत्र “यै” से माता दुर्गा की सप्तम शक्ति माता कालरात्रि की उपासना किया जाता है, इस बीज मंत्र से “शनि ग्रह” को नियंत्रित करने की शक्ति प्रदान है !
नवार्ण मंत्र के अष्टम बीज मंत्र “वि” से माता दुर्गा की अष्टम शक्ति माता महागौरी की उपासना किया जाता है, इस बीज मंत्र से “राहु ग्रह” को नियंत्रित करने की शक्ति प्रदान है !
नवार्ण मंत्र के नवम बीज मंत्र “चै” से माता दुर्गा की नवम शक्ति माता सिद्धीदात्री की उपासना किया जाता है, इस बीज मंत्र से “केतु ग्रह” को नियंत्रित करने की शक्ति प्रदान है !
Navarna Mantra Sadhana Proccess
- इस नवार्ण मंत्र को पढने से पहले अछे तरीके से साफ सफाई कर लें ,
- इस दिन सुबह जल्दी उठ जाये !
- स्नान अदि करके नए वस्त्र पहन लें !
- अच्छे एवं सुन्दर कपडे का आसन लगा लें !
- फिर धुप अगरबती , अक्षत इत्यादि चढ़ा दें !
- फिर नवार्ण मंत्र पढना प्रारम्भ करें !
- इस मंत्र साधना से माँ दुर्गा की पूर्णकृपा प्राप्त होती है और यह एक मात्र ऐसा मंत्र है जिन्हके मन्त्र जाप से माँ दुर्गा के जितने भी स्वरुप है उन सभी स्वरुप का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है !
- नवार्ण मंत्र साधना को पूर्णता रूप से सिद्ध करके मोक्ष प्राप्त होती है ! किसी समस्या से छुटकारा पाने के लिएनवार्ण मन्त्र साधना में नवार्ण मंत्र को पूर्ण लगन से सवा लाख मंत्र का जाप करके, अनुष्ठान के रूप में किया जाये, तो तत्काल सफलता प्राप्त हो जाता है !
- नवार्ण मंत्र साधना से घर में सुख और शांति प्राप्त होता है !
- सभी बाधा और कष्टों को यह मंत्र दूर कर देता है ! धर्म-अर्थ-कर्म-मोक्ष चतुर्विध पुरुषार्थो को देने वाला उत्तम मन्त्र है यह नवार्ण मन्त्र साधना !
- इस मन्त्र से किसी भी प्रकार के ऋणों से मुक्ति प्राप्त होता है यह मंत्र और सभी कार्यो में सफलता प्रधान होता है !
- नवार्ण मंत्र साधना से नकारात्मक शक्तियों नष्ट हो जाता है !
- नवार्ण मंत्र को नौ ग्रहों को नियंत्रित करने की शक्ति प्रदान है
नवार्ण मंत्र साधना करने बाले व्यक्ति ब्रम्हचर्य का पालन करे !
नवार्ण मंत्र साधना करने बाले व्यक्ति को उपवास रखना जरुरी होता है !
नवार्ण मंत्र साधना पूर्ण होने तक व्यक्ति शांत रहे !
किसी भी बात विवाद में न पड़े !
मिथ्या या ज्यादा न बोलें !
साधक को लाल वस्त्र का आसन का प्रयोग करना चाहिए !
जब तक जाप ख़त्म न हो जाय , दीप जालते रहना चाहिए !
ध्यान रहे जप के दौरान कोई टोके न !
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