नमस्कार दोस्तों
आज मै आपलोगों के लिए हिन्दी साहित्य के एक और अनमोल रत्न “निर्मला” लेकर आया हूं ! निर्मला मुंशी प्रेमचंद के द्वारा रचित उपन्यास है , इसे 1927 में पब्लिश किया गया था और ये एक महिला पर केंद्रित उपनायस है ! प्रेमचन्द के दैनिक जीवन में जो घटना घटता है वहीं वो अपने लेखन में उतार देते हैं, निर्मला भी ऐसी घटना में से एक है जो समाज में घटने वाले कुरीतियां जैसे दहेज प्रथा , बिना योग शादी इत्यादि , तो चलिए जानते हैं निर्मला के उपन्यास के बारे में !
निर्मला उपन्यास पात्र
- निर्मला – उदय भानु लाल की बेटी
- उदय भानु लाल – वकील थे लेकिन कैसे पैसा बचाना है,या संचय करना नहीं जानते थे !
- कल्याणी – उदय भानु लाल की पत्नी और निर्मला के मां !
- भुवन मोहन सिंहा – बाबू भल लाल सिन्हा के बड़े बेटे, जिससे सबसे पहले निर्मला का रिश्ता तय हुआ था लेकिन दहेज के चलते रिश्ता ठुकरा दिया था !
- सुधा – भुवन मोहन सिंहा की पत्नी !
- मुंशी तोता राम – इनसे निर्मला का बिमेल रिश्ता तय करवा दिया जाता है , ये एक धनी साहूकार थे, लेकिन निर्मला से उम्र में काफी बड़े थे !
- मंसा राम- ये मुंशी तोता राम के बड़े बेटे ,ये बहुत ही अच्छा आदमी और चरित्र बान थे !
- रुक्मणि – ये मुंशी तोता राम के बहन थी जो मुंशी जी घर में रहती थीं !
- जिया राम सिया राम – मुंशी जी बड़े बेटे और छोटे बेटे थे !
- भूंगी – ये मुंशी जी के घर के मेहरी थी !
निर्मला उपन्यास सारांश
उपन्यास की शुरुआत होती है उदय भानु लाल के घर से जहां उनकी सालो की मेहनत रंग लाई थी और उनकी बेटी निर्मला की रिश्ता अच्छे घर में तय होने जा रहा था , खुशी की बात ये था लड़का के तरफ से दहेज की मांग नहीं किया गया था , बस बारातियों को अच्छे से सेवा सत्कार हो यही मांग था ! उदय भानु लाल बहुत खूश था क्योंकि बिना दहेज का सादी हो रही था ! लेकिन फिर किसी तरह से सादी टूट जाता है , लडके पक्ष से पैसे की मांग होने लगता है ! उदय भानु लाल पैसा नहीं दे पाते हैं ! फिर एक आदमी जिसका उम्र निर्मला के उम्र से काफी ज्यादा था लगभग 35 वर्ष , मुंशी तोता राम से बेमेल विवाह करवा देते हैं !
मुंशी तोता राम का पहले से 3 बेटे थे ! एक का नाम जिया राम और दूसरा का नाम सिया राम था , और बेटा का नाम मंसा राम था जो उम्र में निर्मला के बराबर था , जब सादी हुआ तो निर्मला तो खूश नहीं थी क्योंकि अपने पिता के उम्र के उनके पति थे ! लेकिन फिर भी निर्मला किसी तरह से अपने अप को उस परिवेश में ढालने की कोशिश की ! वो तोता राम के बेटे को भी उतना हीं प्यार दिया, जितना कि अपने बेटे एवं बेटियों को ! कैसे करके भी परिवार चल रहा था , लेकिन मुंशी तोता राम के मन में एक गलत ख्याल आ गया कि शायद उनके बड़े बेटे मंसा राम और निर्मला के बीच कुछ गलत संबंध है !
लेकिन निर्मला, मंसा राम को बेटा समझता था और मंसा राम भी निर्मला को अपना मां समझता था ! एक कहावत है कि नजर का इलाज हो सकता है लेकिन नजरिया और शक का कोई इलाज नहीं है ! मुंशी तोता राम शक को लेकर अपने बड़े बेटे मंसा राम को छात्रावास में भेजने का निर्णय ले लिया , और बीतते दिन मंसा राम को ना चाहते हुए भी छात्रावास में भेज दिया गया ! वो रो रो कर गिड़गिड़ा रहा था कि ऐसा मत कीजिए लेकिन मुंशी तोता राम उसका एक न सुना !
हॉस्टल में मंसा राम ये सोचकर बीमार रहने लगा कि हमारे साथ ऐसा क्यों हुआ हम तो अपनी मां की तरह मानते थे , बीमार रहते रहते मंसा राम का बहुत बूरा हाल हो गया, इलाज कराने के लिए लाया गया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुका था ! जब अस्पताल में मंसा राम से मिलने मुंशी तोता राम और उसकी मां निर्मला आई तो ,मंसा राम ने निर्मला के पैर छूकर प्रणाम किया और फुट फुट कर रोने लगा ! तब मुंशी तोता राम को बहुत पश्चात होने लगा , उसने अपने बेटे से माफी मांगने लगा , तब मंसा राम ने बोला अब तो बहुत देर हो चुका है पापा ! और मंसा राम को मृत्यु हो जाता है !
हमने शॉर्ट में बताने की कोशिश किया है अगर आपको डिटेल में पढना है तो आप buy करके लुफ्त उठा सकते हैं !
Download Nirmla Pdf
Hindi Gyan किसी भी प्रकार के पायरेसी को बढ़ावा नही देता है, यह पीडीऍफ़ सिर्फ शिक्षा के उद्देश्य से दिया गया है! पायरेसी करना गैरकानूनी है! अत आप किसी भी किताब को खरीद कर ही पढ़े ! इस लेख को अपने दोस्तों के साथ भी जरुर शेयर करे !
- Top 5 Love Story Pdf Download in Hindi
- Dolo 650 Tablet | Uses, Price, and Side Effect in Hindi
- Sati Ansuya Katha Pdf Download in Hindi
- Brarmh Gyan Pdf Download in (Hindi)
- Number Series Pdf Download Free (Latest)
- Durga Saptashati Pdf Download
- Shankar IAS Environment Pdf Download [Latest Edition]