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Raag Darbari सारांश
Raag Darbari का स्शुरुआत शिव्पल्गंग गाँव से होता हहै ! उपन्यास का नायाक रंगनाथ अपने नन्ना के गाँव शिवपालगंज रहने के लियए आता है ! रंगनाथ इतिहास में M . A करने के बाद P.H.D का शोध कार्य में लगा हुआ है ! रंगनाथ अपने मामा के पासस्वास्थ पर शोध कारने के लिए आया हुआ है !
राग दरबारी में भारतीय गांव की सजीव यथार्थवादी चित्रण में हिंदी साहित्य जगत में काफी खलबली मचाई राग दरबारी की कथा भूमि शिवपाल गंज नामक गांव है जो उत्तर प्रदेश के मैं कहीं किसी बड़े गोपालगंज तथा इसकी तथा का सूत्रधार है रंगनाथ नामक शोध छात्र रिसर्च स्कॉलर अपना स्वास्थ्य सुधारने हेतु शिवपाल गंज अपने मामा वैद्य जी के पास जाता है ! पंचायत बैंक पुलिस शिक्षा संस्थाएं प्रोफ़ेसर दुकानदार व्यापार अक्सर सरकारी योजनाएं पहलवान गुंडे अखबार और बेकारी आदि तमाम दैनंदिन जीवन की विषयों को स्पर्श किया है !
वैध जी शिवपाल गंज के आधार स्तंभ जिनको सर्दी लगने पर 10 गुड़गांव में जीत रोग हो जाता है नहीं है मतलब कोई बनी हुई कथा नहीं है मतलब इसका फायदा बहुत सारी कथाएं जल्दी आती हैं वह अवसरवादी नेताओं के प्रतिनिधि हैं कॉलेज पंचायत को और कोऑपरेटिव समिति के माध्यम से गुणात्मक क्रांति कर रहे हैं उनमें दुर्गा का काम है हिटलर की तानाशाही है और नेहरू की चिल्लाहट है !
रूपन बाबू कौन हैं ?
रूपन बाबू अनुशासन हिन विद्यार्थी वर्ग के प्रतिनिधि है ! श्रीमान महोदय का राज अलग ही होता है क्योंकि उन्हें वैध जी वरदान प्राप्ति है ! राग दरबारी में राजनीतिक व्यवस्था पर जोर दिया गया हैं जो हमारे समस्त दुखों का कारण जा सकती है !
कदम कदम पर राजनितिक कुरीतिय पनपती है इसी को कलयुग कहा गया है ! बाप के साथ बीटा ऐसा स्लू कर रहा है की लगता है ,कोई दुसमन है ! वैध जी राजनितिक से पूरी तरह दोषी व्यक्ति है , वे इस युग में अंग्रेज के भक्त और आजादी के बाद देशी अधिकारियो के अटल भक्त है ! वो आजादी के जंग में सबसे पीछे और आज लूट में सबसे आगे है ! वे शिवपालगंज के एक क्षत्र नेता हैं !
बेला गयासुधीन की कुवारी कन्या है जो सम्पति यौन चार की स्वछंद प्रतिमा है ! शहरो गांवों पर बुरा असर पद रहा है ! शहरी वेशभूषा और फिल्मो की बीमारी गाँव में फैल गयी है , उसने सबको अपने चपेट में ले लिया है ! शिवपालगंज में भी यह महामारी पूरी तरह से फ़ैल चुकी है !
उपन्यास का एक पात्र है रंगनाथ जो विडंबना और नगरीय संस्कृति की निर्थकता को प्रस्तुत करता है ! लेखक ने बेरोजगारी से जूझने वाले इस दुर्बल का युवक हुए शोध कार्य को घास खोजने के समान माना है ! हमारी युवा और शिक्षित नई फसल में क्रियात्मक का का अभाव है लेखक ने बहुत विभाग से हमारी युवा वर्ग की शहरी मानसिकता पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण और चेतना पर व्यंग किया है ! प्रिंसिपल के शब्दों में विलायत का एक चक्कर लगाने के लिए यह साबित करना पड़ जाए कि हम अपने बाप की औलाद नहीं है तो उसे साबित कर देंगे !
Raag Darbari एकमात्र महिला पात्र
एकमात्र महिला का पात्र बेला के माध्यम से समाज में व्याप्त जातीयता विवाह प्रेम दहेज आज की समस्याओं को उठाया गया है नारी पात्रों की अल्प संख्या और उनमें वर्ग चेतना का भाव निश्चित रूप से खटकता है इससे नारी समस्याओं की उपेक्षा की इस उपन्यास में हुई लगती है क्योंकि नारी बात एक ही है जो पहला है रात मगर बात करने का ढंग पाठक को बांधे रखता है जी का कथन है और मेरा साबित करता है ! व्यवस्था की प्रतीक तथा विद्रूपता का महाभारत चाहिए , उपन्यास में जो ईमानदारी के साथ इस बिल का चित्रण राग दरबारी ने किया है !
मानव अस्तित्व इमानदारी के साथ इस बैंक का चित्रण राग दरबारी ने किया है ! गोदान के सरगना में काम करेंगे है रात भर में वर्तमान समाज का वोट कितना करते हैं व्यवस्था की व्यवस्था कर भेजे हुए हाथों पर करारी चोट की है ! चुनाव जीतने की बताई गई हैं , प्रथम रामनगर वाली जिसमें दोनों दल एक दूसरे के विरुद्ध हिंसा का आरोप लगाते हैं ! दूसरी है इसमें राजनीति को धर्म से जोड़कर जनता को मूर्ख बनाया जाता है ! और तीसरी है इसमें चुनाव अधिकारियों की गलतियों की आड़ में चुनाव जीतने का प्रयास किया जाता है ! पता नहीं चुनाव तंत्र में हमें कहां ले जाएगा !
अपने विविध आयाम खोलकर हमारे सामने आता है जब तक क्यों निकाला भाषा पर देंगे किया है राजनीति करेंगे किया करते समय लेखन को एक नई स्फूर्ति का अनुभव होता है कि आज की राजनीति और वर्तमान की वर्तमान व्यवस्था सर्वाधिक विडंबना में बन गई है !
Raag Darbari का अंत
रंग नाथ को शिवपाल में अधिक समय हो गया था, रात को उसे नींद नहीं आती थी ! उसकी तंदुरुस्ती सुधर गई थी, उसकी आत्मा के तारों पर पलायन संगीत होने लगा था ! वह सोचता है, तुम बोली है कि मनुष्य को कीचड़ ही कीचड़ पैदा होता है और तुम्हारा पीछा कर रहा है आ जाते हैं ! वे कहते हैं कि आप की जगह खाली हुई है ,यहां रहकर कॉलेज में 2 घंटा पढ़ाई बाकी जहां जाओगे! वहां तुम्हें किसी खन्ना की जगह मिलेगी तब रहता है, कि आपकी बातचीत से हमें नफरत हो रही है!
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