Rashmi Rathi PDF को यदि आप Download करना चाहते है तो आप हमारे वेबसाइट से Free में Download कर सकते है! हम आपने पाठको के लिए हमेशा नये नये PDF Files को आप सभी के लिए उपलब्ध कराते है, आज हमने आप सबके लिए प्रसिद्ध लेखक रामधारी सिंह दिनकर की विश्वप्रसिद्ध काव्य Rashmirathi के बारे में बताने वाले है और साथ में आपको हम Rashmi Rathi PDF File भी बिलकुल मुफ्त में उपलब्ध करवाएंगे, जिसे यहाँ से Download करके पढ़ सकते है!
रश्मिरथी परिचय

रश्मिरथी, जिसका अर्थ होता है सूर्य की सारथी ! यह राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित एक प्रसिद काव्यखंड है! इसे सन 1942 में प्रकाशित किया गया था! इसमें कुछ सात खंड है! इसमें कर्ण के सभी चित्रों का सजीव वर्णन किया गया है!
दो न्याय अगर तो आधा दो, पर इसमें भी यदि बाधा हो,
तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रक्खो अपनी धरती तमाम।
इसमें कर्ण के बारे में लिखा गया है, उन्होंने कर्ण को महाभारत की भूमि से उठाकर नौतिकता और वफादारी के नये भूमि पर ला खड़ा किया है! और उसे गौरव से विभूषित कर दिया है! रश्मिरथी में सभी पारिवारिक अरु नैतिक संबंधो को नये सिरे से जांचा है!
रामधारी सिंह दिनकर
रामधारी सिंह दिनकर का जन्म २३ सितम्बर १९०८ में हुआ था, ये भारतीय राजनीति और भारतीय कविता के सम्बन्ध का अप्रतिम उदाहरण है! उनकी राजनीति के प्रति आलोचकीय व्याख्या को हिंदी के आलोचक कर चुके है! उनकी रचना आज भी जागृत जनमानस के बीच बोली जाती है! आज इनकी एक प्रसिद कविता सुनने को मिल जाती है!
सदियों की ठण्डी-बुझी राख सुगबुगा उठी,
मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है;
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है ।
जनता ? हाँ, मिट्टी की अबोध मूरतें वही,
जाड़े-पाले की कसक सदा सहनेवाली,
जब अँग-अँग में लगे साँप हो चूस रहे
तब भी न कभी मुँह खोल दर्द कहनेवाली ।
जनता ? हाँ, लम्बी-बडी जीभ की वही कसम,
“जनता,सचमुच ही, बडी वेदना सहती है।”
“सो ठीक, मगर, आखिर, इस पर जनमत क्या है ?”
‘है प्रश्न गूढ़ जनता इस पर क्या कहती है ?”
मानो,जनता ही फूल जिसे अहसास नहीं,
जब चाहो तभी उतार सजा लो दोनों में;
अथवा कोई दूधमुँही जिसे बहलाने के
जन्तर-मन्तर सीमित हों चार खिलौनों में ।
लेकिन होता भूडोल, बवण्डर उठते हैं,
जनता जब कोपाकुल हो भृकुटि चढाती है;
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है ।
हुँकारों से महलों की नींव उखड़ जाती,
साँसों के बल से ताज हवा में उड़ता है,
जनता की रोके राह, समय में ताव कहाँ ?
वह जिधर चाहती, काल उधर ही मुड़ता है ।
अब्दों, शताब्दियों, सहस्त्राब्द का अन्धकार
बीता; गवाक्ष अम्बर के दहके जाते हैं;
यह और नहीं कोई, जनता के स्वप्न अजय
चीरते तिमिर का वक्ष उमड़ते जाते हैं ।
सब से विराट जनतन्त्र जगत का आ पहुँचा,
तैंतीस कोटि-हित सिंहासन तय करो
अभिषेक आज राजा का नहीं, प्रजा का है,
तैंतीस कोटि जनता के सिर पर मुकुट धरो ।
आरती लिए तू किसे ढूँढ़ता है मूरख,
मन्दिरों, राजप्रासादों में, तहखानों में ?
देवता कहीं सड़कों पर गिट्टी तोड़ रहे,
देवता मिलेंगे खेतों में, खलिहानों में ।
फावड़े और हल राजदण्ड बनने को हैं,
धूसरता सोने से शृँगार सजाती है;
दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,
सिंहासन खाली करो कि जनता आती है ।
रामधारी सिंह दिनकर एक ऐसे लेखक है जो विपरीत ध्रुवो की व्याख्या और विपरीत ध्रुवो के संवेदना को सम्पूर्ण आस्था और संवेदना के साथ लिखते थे! इन्होने बहुत से पुस्तक की रचना की है और सभी पुस्तक एक अलग पहचान रखती है!
रामधारी सिंह दिनकर की प्रसिद्ध रचना
काव्य 1. बारदोली-विजय संदेश (1928) 2. प्रणभंग (1929) 3. रेणुका (1935) 4. हुंकार (1938) 5. रसवन्ती (1939) 6.द्वंद्वगीत (1940) 7. कुरूक्षेत्र (1946) 8. धूप-छाँह (1947) 9. सामधेनी (1947) 10. बापू (1947) 11. इतिहास के आँसू (1951) 12. धूप और धुआँ (1951) 13. मिर्च का मजा (1951) 14. रश्मिरथी (1952) 15. दिल्ली (1954) 16. नीम के पत्ते (1954) 17. नील कुसुम (1955) 18. सूरज का ब्याह (1955) 19. चक्रवाल (1956) 20. कवि-श्री (1957) 21. सीपी और शंख (1957) 22. नये सुभाषित (1957) 23. लोकप्रिय कवि दिनकर (1960) 24. उर्वशी (1961) 25. परशुराम की प्रतीक्षा (1963) 26. आत्मा की आँखें (1964) 27. कोयला और कवित्व (1964) 28. मृत्ति-तिलक (1964) 29. दिनकर की सूक्तियाँ (1964) 30. हारे को हरिनाम (1970) 31. संचियता (1973) 32. दिनकर के गीत (1973) 33. रश्मिलोक (1974) 34. उर्वशी तथा अन्य शृंगारिक कविताएँ (1974) गद्य 35. मिट्टी की ओर (1946) 36. चित्तौड़ का साका (1948) 37. अर्धनारीश्वर (1952) 38. रेती के फूल (1954) 39. हमारी सांस्कृतिक एकता (1955) 40. भारत की सांस्कृतिक कहानी (1955) 41. संस्कृति के चार अध्याय (1956) 42. उजली आग (1956) 43. देश-विदेश (1957) 44. राष्ट्र-भाषा और राष्ट्रीय एकता (1955) 45. काव्य की भूमिका (1958) 46. पन्त-प्रसाद और मैथिलीशरण (1958) 47. वेणुवन (1958) 48. धर्म, नैतिकता और विज्ञान (1969) 49. वट-पीपल (1961) 50. लोकदेव नेहरू (1965) 51. शुद्ध कविता की खोज (1966) 52. साहित्य-मुखी (1968) 53. राष्ट्रभाषा आंदोलन और गांधीजी (1968) 54. हे राम! (1968) 55. संस्मरण और श्रद्धांजलियाँ (1970) 56. भारतीय एकता (1971) 57. मेरी यात्राएँ (1971) 58. दिनकर की डायरी (1973) 59. चेतना की शिला (1973) 60. विवाह की मुसीबतें (1973) 61. आधुनिक बोध (1973) |
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पुस्तक का नाम | रश्मिरथी |
पुस्तक के रचनाकार | रामधारी सिंह दिनकर |
पुस्तक की श्रेणी | काव्य |
पुस्तक की साइज़ | …. |
पृष्ठों की संख्या | …. |
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