आज के इस article में Sati Ansuya Katha Pdf देने वाला हूं ऐसे तो लगभग हरेक लोग अन्नी ऋषि और उनकी धर्म पत्नी सती अनुसूइया के बारे जानते होंगे लेकिन क्या ये जानते हैं? कि सूइयां को सती अनुसूया के नाम से कब से संबोधित किया जाने लगा , कैसे पति ब्रता स्त्री होने का धर्म निभाया , आप सब समझ जाएंगे जब Sati Ansuya Katha को पढ़ेंगे ! तो चलिए जानते हैं कि कैसे Sati Ansuya Katha Pdf मिलेगा !
सती अनुसूइया कौन है?
अन्नी ऋषि के धर्म पत्नी का नाम सती अनुसूइया है, सती अनुसूया पहले अनुसूइया के नाम से जानी जाती थी , लेकिन एक घटना घाटी जिसके बाद अनुसूइया को सती अनुसूइया के नाम से जाना जाने लगी वो घटना इस प्रकार है !
एक बार तीनों देवियां मां सरस्वती ,मां लक्ष्मी और मां पार्वती आपस में बातें कर रही थी, वो लोग अपने पवित्रता की चर्चा कर रही थी , तभी नारदजी वहां पहुंचे ! और बोलने लगे कि आपलोग अत्रि महामुनि को तो जानते होंगे, देवियों ने कहा हा पर क्या बात है उनकी पत्नी अनुसूया है उनकी पवित्रता के आगे आपलॉग कुछ नहीं हैं ! अब तो तीनों देवियों के मन में अनुसूया के प्रति ईर्ष्या होने लगी !
तीनों देवियों ने अनसूया के पातिव्रत्य को खंडित के लिए का ठान लिया , परिणाम स्वरूप अपने पतियों को तीनों ने कहा कि अनसूया के पवित्रता और पतिव्रता खंडित करना है, चाहे जैसे भी हो सकें ! तीनों देवियों के पति ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने बहुत समझाया कि ऐसा करना गलत होगा लेकिन देवियों ने उनकी एक न सुनी ! और तीनों देवियों के आग्रह पर ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने सती अनसूया के पवित्रता परखने के लिए चल पड़े , तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ने ऋषि का रूप धारण कर लिया और अत्रि ऋषि के आश्रम में पहुंच गया और भिक्षा मांगने लगे !
अतिथि को सेवा संस्कार की परंपरा तो अनुसूया से पहले ही भरे हुए थे ,उन्होंने ने त्रिमूर्तियों को उचित रूप से स्वागत कर किया और उन्हें खाना खाने के लिए निमंत्रित किया ! लेकिन ऋषियो (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) ने कहा हमलोग का एक नियम है कि जब तुम निर्वस्त्र होकर भोजन खिलायोगी , तभी हमलोग भोजन करेंगे ! अनसूया अस मंजस में पड़ गई , करें तो क्या करे अगर साधु भूखा खाए ये ऋषि धर्म के खिलाफ है और अगर निर्वस्त्र होकर खाना खिलाए तो इसमें पतिव्रता के खिलाफ है !
उन्हें एक उपाय दिखा ,उन्होंने मन ही मन ऋषि अत्रि का स्मरण किया तो अपने दिव्य शक्ति से उन्होंने पाया कि यह तो ऋषि ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं ! फिर मुस्कुराते हुए बोली अपलोग की जैसी इच्छा है वैसी ही होगा , तीनों ऋषियों पर जैसे जल छिड़का वो तीनो छोटे छोटे प्यारे बच्चे के रूप में बदल गया ! बच्चो को स्तनपान करा कर, दूध-भात खिलायी और गोद में सुलाया , तीनों बच्चे गहरी नींद में सो गए ! अब तो तीनो देविया बेचैन हो गई कि हम परीक्षा लेने भेजे थे पाता नहीं कैसे होंगे, इतना बेचैन देखकर नारद जी वहां पहुंचे और लक्ष्मी, सरस्वती तथा पार्वती को लेकर सतिसुइया पास पहुंच गए !
अनसूया ने सबसे पहले तो देवियों और नारद जी को प्रणाम किया और कहा ‘माताओं, झूलों में सोने वाले बच्चे अगर आप लोगो के पति हैं तो इन्हें ले जा सकती हैं , लेकिन यहां जब तीनों देवियों ने तीनों बच्चों को देखकर आश्चर्य हो गए क्योंकि तीनो बच्चे एक समान लग रहे थे , और तीनों बच्चे गहरी नींद में सोये हुए थे ! अब इनके लिए तो बहुत ही आश्चर्य के बात था की पहचाने कैसे नारद जी ने कहा कि ,क्या आप अपने अपने पति को पहचान जाएंगे ? तो जल्दी से अपने पति को गोद में उठाकर ले जा सकते हैं !
अनसूया को सती अनसूया क्यो कहा जाने लगा
देवियों ने बिना कोई देर किए तीनो ने एक-एक शिशु को उठा कर अपनी गोद में ले लिया लेकिन बाद में पता चला कि सरस्वती जी ने शिवजी को, लक्ष्मी जी ने ब्रह्मा जी को और पार्वती जी ने विष्णु जी को गोद ले लिया है ! तीनों देवियां बहुत शर्मिंदा हुई और अनुसूया से क्षमा याचना करने लगी ! उन लोगों ने बोली की परीक्षा लेने के लिए अपने पतियों को जोर किया था मुझे माफ़ कर दीजिए और मेरे पति को वापस वहीं रूप दे दीजिए , तभी से अनसूया सती अनसूया के नाम से जानने लगी
Sati Ansuya Katha Pdf Download
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