SC/ST Act पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद देश भर में विरोध हो रहा है ! दलित समुदाय के लोगो और कई संगठन इस पर अपनी आपत्ति जता रहे है ! देश भर में इन लोगो की तरफ से भारत बंद भी किया जा रहा है ! आखिर क्या है ? SC/ST Act क्यूँ बनाया गया था और क्यूँ हो रहा है सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध ! आइये जानते है की क्या है SC / ST Act in Hindi !
What is SC / ST Act in Hindi?
अनुसूचित जातियों और अनुसूचति जनजातियो के लोगो पर होने वाले अत्याचार पर और उनके साथ होने वाले भेद भाव को रोकने के मकसद से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम 1989 बनाया गया था ! जम्मू- कश्मीर को छोड़कर पुरे देश में इस एक्ट को लागू किया गया था ! इसके तहत समाज में इन लोगो को समान दर्जा दिलाने के लिए कई प्रावधान किये गये और इनकी हर संभव मदद के लिए जरुरी उपाय किये गये ! इन पर होने वाले अपराधो के लिए विशेष व्यवस्था की गयी , ताकि ये अपनी बात खुलकर रख सके !
क्यों बनाया गया था ये एक्ट ?
1955 के प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स एक्ट के बाद सालो तक न तो छूआछूत का अंत हुआ और ना ही दलितों पर अत्याचार रुका ! वे एक तरह से SC / ST के भारत राष्ट्र के समानता और स्वतन्त्रता के वादे का उलंघन हुआ ! देश की एक चौथाई आबादी इन सब से बनती है और आजादी के तीन दशक बाद भी इनकी मानसिक और आर्थिक स्थिति तमाम मानको पर बेहद ख़राब थी ! ऐसे में इस खामी को करने और अन्य समुदायों के अत्याचारों से बचाने के मकसद से इस एक्ट को लाया गया ! इस समुदाय के लोगो को अत्याचार और भेदभाव से बचने के लिए कई तरह के प्रावधान किये गये !
क्या है इस एक्ट के प्रावधान ?
SC / ST Act 1989 में ये व्यवस्था की गयी की अत्याचार से पीड़ित लोगो को पर्याप्त सुविधाए और क़ानूनी मदद दी जाये , जिससे उन्हें न्याय मिले ! इसके साथ ही अत्याचार से पीड़ित लोगो की आर्थिक और पुनर्वास में मदद की जाये ! इस एक्ट के तहत मामलो में जाँच और सुनवाई के दौरान पीड़ित और गवाहों के यात्रा और जरूरतों का खर्च सक्रकर की तरफ से उठाया जाये ! सुनवाई की प्रक्रिया शुरू और निगरानी के लिए अधिकारी नियुक्त किये जाये ! और इन उपायों के अमल के लिए राज्य सरकार जैसा उचित समझेगी , उस स्तर पर कमिटियाँ बनाई जाए ! तथा बीच में बीच में प्रावधानों के समीक्षा की जाये ताकि उसका सही तरीके से इस्तेमाल हो सके ! उन क्षेत्रो और जगहों का पता लगाना जहाँ SC / ST पर अत्याचार हो सकते है और उन्हें रोकने के प्रावधान किये गये !
क्यों हो रहा है विरोध ?
सुप्रीम कोर्ट ने हालहिं में कहा था , की सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी के इजाजत के बाद ही हो सकती है ! इसके आलावा जो लोग सरकारी कर्मचारी नही है उनकी गिरफ्तारी जांच के बाद SSP के इजाजत के बाद हो सकेगी ! बेगुनाह लोगो को बचाने के लिए कोई भी शिकायत मिलने पर तुरंत मुकदमा दर्ज नही किया जायेगा ! कोर्ट के इस आदेश के बाद और नई गाइडलाइन्स के बाद इस समुदाय के लोगो का कहना है, की ऐसा होने के बाद उन लोगो पर अत्याचार बढ़ जायेगा !
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ?
सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च 2018 को एक अहम् फैसला सुनाया ! इसमें कोर्ट ने माना की इस एक्ट का गलत इस्तेमाल हो रहा है ! इसके तहत शीर्ष अदालत ने अनुसूचित जाती एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचर रोकथाम अधिनियम 1989 के तहत स्वत गिरफ्तारी और अपराधिक मामला दर्ज किये जाने पर रोक लगा दी थी ! इसके आलावा कोर्ट ने इस एक्ट को लेकर नई गाइडलाइन्स भी जारी की है !
अब तक थे ये नियम ?
इस एक्ट के तहत जातिसूचक शब्दों के इस्तेमाल करने पर तुरंत मामला दर्ज होता था ! इनके खिलाफ जाँच के अधिकारी इस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी के पास भी था ! मुक़दमा दर्ज होने के बाद तुरंत गिरफ्तारी का प्रवधान भी था ! ऐसे मामलों की सुनवाई केवल विशेष कोर्ट में ही होती थी ! साथ ही अग्रिम जमानत भी नही मिलती थी , सिर्फ उच्च न्यायालय से ही जमानत मिलती थी !
अब ये है नये गाइडलाइन्स ?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले और नई गाइडलाइंस के बाद से अब खिलाफ जाति सूचक टिप्पणिया कोई और शिकायत मिलने पर तुरंत मुकदमा दर्ज नही किया जायेगा ! ना ही तुरंत गिरफ्तारी होगी , SP रैंक के अधिकारी पहले मामले की जाँच करेंगे , इसमें ये देखा जायेगा की इसमें कोई मामला बनता है या फिर झूठा आरोप है ! मामला सही पाए जाने पर ही मुकदमा दर्ज होगा ! और आरोपी की गिरफ्तारी होगी ! जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल करने वाले अरोपी की हिरासत अवधि बढाने से पहले मजिस्ट्रेट को गिरफ्तारी के कारणों की समीक्षा करनी होगी ! सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी के इजाजत के बाद ही हो सकती है ! सरकारी कर्मचारी या अधिकारी ऐसे मामलो में जमानत के अग्रिम याचिका भी दायर कर सकते है !
क्या है सरकार का रुख ?
केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ रिव्यु पेटिसन यानी पुर्विचार याचिका दायर कर रही है ! सरकार कथित उत्पीडन को लेकर तुरंत होने वाली गिरफ्तारी और मामले दर्ज किये जाने पर रोक लगाने वाले आदेश को चुनौती देने का विचार कर रही है ! सामाजिक न्याय मंत्रालय अपनी याचिका में यह कह सकती है , की सुप्रीम कोर्ट का आदेश असूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार रोकथाम अधिनियम 1989 के प्रावधानों को कमजोर करेगा ! इस आदेश से कानून का डर कम होगा और कानून का उलंघन बढ़ सकता है !
तो दोस्तों ये थी SC / ST Act in Hindi में जुडी कुछ जानकारी ! हमे उम्मीद है की आपको ये पसंद आया होगा ! इसे अपने दोस्तों के साथ जरुर शेयर करे ! और उन्हें भी बताये की क्या है SC / ST Act in Hindi में !
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