Shiv Panchakshara Stotram की रचना आदि गुरु शंकराचार्य ने किये हैं ! इस ग्रंथ Shiv Panchakshara Stotram में वे शिव जी का पंचाक्षरी मन्त्र ” नम: शिवाय ” का अर्थ पर आधारित रचना किये हैं ! और ये पूरा शिव पंचाक्षर स्तोत्र इसी को अर्थ बताते हुए रचना किये हैं !
आज के इस अर्टिकल में आपको शिव पंचाक्षर के पढने का सबसे आसान तरीका बताऊंगा और साथ ही इससे होने बाले लाभ को पूरी जानकारी देने वाला हूँ तथा साथ में आप सभी को मैं Shiv Panchakshara Stotram Pdf भी देने वाला हूँ जिसे आप डाउनलोड करके पढ़ सकते है और उसका लाभ ले सकते है !
Who is Adi Shankaracharya ?
आदि शंकराचार्य भारत के एक महान धर्मप्रवर्तक थे ! उन्होने बहुत सारे वेड और उपनिसाद लिखे हैं , उनमे से भगवद्गीता, उपनिषदों और वेदांतसूत्रों पर लिखी हुई इनकी रचना बहुत प्रसिद्ध हैं ! उन्होंने सांख्य दर्शन का प्रधानकारणवाद और मीमांसा दर्शन के ज्ञान-कर्मसमुच्चयवाद आदि को रचना किया !
इन्होंने भारतवर्ष में चार कोनों में चार मठों की स्थापना कीये थी जो अभी तक बहुत विश्व प्रसिद्ध और पवित्र माने जाते हैं ! और इन्ही के वजह से संन्यासी ‘शंकराचार्य’ कहे जाते हैं ! वे चारों स्थान ये हैं- (१) ज्योतिष्पीठ बदरिकाश्रम, (२) श्रृंगेरी पीठ, (३) द्वारिका शारदा पीठ और (४) पुरी गोवर्धन पीठ ! इन्हें शंकर के अवतार भी माना जाता हैं !
Shiv Panchakshara Stotram Lyrics
श्रीशिव पंचाक्षर स्तोत्र के पांचों श्लोकों में क्रमशः न, म, शि, वा और य अर्थात् ‘नम: शिवाय’ है, अत: यह स्तोत्र शिवस्वरूप है–
“नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांगरागाय महेश्वराय !
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै ‘न’काराय नम: शिवाय। !!
मन्दाकिनी सलिलचन्दनचर्चिताय नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय !
मन्दारपुष्पबहुपुष्प सुपूजिताय तस्मै ‘म’काराय नम: शिवाय !!
शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय !
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय तस्मै ‘शि’काराय नम: शिवाय !!
वशिष्ठकुम्भोद्भव गौतमार्य मुनीन्द्रदेवार्चित शेखराय !
चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय तस्मै ‘व’काराय नम: शिवाय !!
यक्षस्वरूपाय जटाधराय पिनाकहस्ताय सनातनाय !
दिव्याय देवाय दिगम्बराय तस्मै ‘य’काराय नम: शिवाय !!
पंचाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेत् शिव सन्निधौ !
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते !!
Shiv Panchakshara Stotram in Hindi (अर्थ)
हिन्दी अनुवाद:
शिवपञ्चाक्षर स्तोत्र के रचयिता आदि गुरु शंकराचार्य हैं, जो परम शिवभक्त थे। शिवपञ्चाक्षर स्तोत्र पंचाक्षरी मन्त्र नमः शिवाय पर आधारित है।
न – पृथ्वी तत्त्व
म – जल तत्त्व
शि – अग्नि तत्त्व
वा – वायु तत्त्व और
य – आकाश तत्त्व का प्रतिनिधित्व करता है !
जिनके कण्ठ में सर्पों का हार है, जिनके तीन नेत्र हैं, भस्म ही जिनका अंगराग है और दिशाएँ ही जिनका वस्त्र हैं अर्थात् जो दिगम्बर (निर्वस्त्र) हैं ऐसे शुद्ध अविनाशी महेश्वर न कारस्वरूप शिव को नमस्कार करता हूँ !!1 !!
गङ्गाजल और चन्दन से जिनकी अर्चना हुई है, मन्दार-पुष्प तथा अन्य पुष्पों से जिनकी भलिभाँति पूजा हुई है। नन्दी के अधिपति, शिवगणों के स्वामी महेश्वर म कारस्वरूप शिव को नमस्कार करता हूँ !! 2 !!
जो कल्याणस्वरूप हैं, पार्वतीजी के मुखकमल को प्रसन्न करने के लिए जो सूर्यस्वरूप हैं, जो दक्ष के यज्ञ का नाश करनेवाले हैं, जिनकी ध्वजा में वृषभ (बैल) का चिह्न शोभायमान है, ऐसे नीलकण्ठ शि कारस्वरूप शिव को नमस्कार करता हूँ !!3 !!
वसिष्ठ मुनि, अगस्त्य ऋषि और गौतम ऋषि तथा इन्द्र आदि देवताओं ने जिनके मस्तक की पूजा की है, चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि जिनके नेत्र हैं, ऐसे व कारस्वरूप शिव को नमस्कार करता हूँ !! 4 !!
जिन्होंने यक्ष स्वरूप धारण किया है, जो जटाधारी हैं, जिनके हाथ में पिनाक* है, जो दिव्य सनातन पुरुष हैं, ऐसे दिगम्बर देव स्वरूप शिव को नमस्कार करता हूँ ! !5 !!
Shiv Panchakshara Stotram Proccess
- इस श्रोत को पढने से पहले अछे तरीके से साफ सफाई कर लें ,
- इस दिन सुबह जल्दी उठ जाये !
- स्नान अदि करके नए वस्त्र पहन लें !
- शिव जी के तस्वीर के सामने आसन लगा दें !
- फिर धुप अगरबती , अक्षत इत्यादि शिव जी पर चढ़ा दें !
- फिर Shiv Panchakshara Stotram पढना प्रारम्भ करें !
Shiv Panchakshara Stotram Benefits
जो शिव के समीप इस पवित्र पञ्चाक्षर स्तोत्र का पाठ करता या करती है, वह शिवलोक को प्राप्त होता है और वहाँ भोले जी के साथ आनन्दित होता है !
जो कोई भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र का रोज पाठ करता है वह शिव तथा भोले के पुण्य लोक को प्राप्त करता है तथा शिव के साथ सुखपूर्वक निवास किया करते है !
Shiv Panchakshara Stotram Download
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