Siddha Kunjika Stotram का पाठ करने से आपकी सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी ! Siddha Kunjika Stotram का पाठ करने से समस्त बाधाओं को शांत करने, शत्रु दमन, ऋण मुक्ति , विद्या, करियर, शारीरिक और मानसिक सुख प्राप्त करना चाहते हैं ! यह अध्याय श्री दुर्गा सप्तशती में सम्मिलित है !
आपके पास समय का आभाव है तो आप इसका पाठ करके भी श्रीदुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ जैसा ही पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। नाम के अनुरूप यह सिद्ध कुंजिका है ! सिद्ध कुंजिका परम शक्तिशाली स्रोत्र है , यह स्त्रोत्र को रुद्रयामल में गौरी तंत्र से लिया गया है !
Siddha Kunjika Stotram
भगवान भोले शंकर को कहना हैं कि सिद्धकुंजिका स्तोत्र का पाठ करने वाले लोगो के लिए देवी कवच, अर्गला, ध्यान , कीलक, रहस्य, सूक्त, न्यास और अर्चन का भी जरुरत नहीं पाड़ता है ! व्यक्ति केवल कुंजिका के पाठ मात्र से दुर्गा पाठ करके भी फल प्राप्त कर सकता है ! जो मनुष्य विषम परिस्थितियों में वाचन करता है उसके समस्त कष्टों का अंत होता है !
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र अर्थ
शिव जी बोले हे देवी सुंनो ! जिस मन्त्र के प्रभाव से देवी का जप सफल होता है ,मै उस उतम कुन्न्जिका स्रोत्र का पथ करूँगा !
इस सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने के बाद कवच , किलक , अर्गला , शुक्त , ध्यान , न्यास , रहस्या और अर्चना की भी जरुरत नहीं पड़ता है !
केवल कुन्न्जिका के पाठ से दुर्गापाठ का फल प्राप्त हो जाता है , यह पाठ अत्यंत गुप्त और देवी , देवतायो के लिए भी दुर्लभ है !
अर्थ मंत्र :-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ! ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ”
।।इति मंत्र:।।
नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।1।।
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।।2।।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।।3।।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।।4।।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।5।।
धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।6।।
हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।7।।
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।। 8।।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।
इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।
यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ कैसे करें
- लाल आसन पर लगाकर बैठ जाये !
- दो दीपक ले ले !
- दोनों दीपक दो साइड में रख दें (दये और बाये )
- दाये तरफ के दीपक में घी डाले !
- बाये तरफ के दीपक में सरसो के तेल डाले ! और दोनों दीपक जला दे
- पूजा का आरम्भ रात्रि 9 बजे से करें !
- पूजा रात्रि 9 बजे से 11 बजे तक करें !
सिद्ध कुंजिका स्तोत्र फायदा (Siddha Kunjika Stotram Benefits)
कोई भी मनुष्य विषम परिस्थितियों में सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का वाचन करता है तो उसके समस्त कष्टों का अंत हो जाता है ! केवल कुंजिका के पाठ मात्र से भी दुर्गा पाठ करके भी फल प्राप्त किया जा सकता है ! इस का पाठ करने से समस्त बाधाओं का अंत हो जाता है ! इस पाठ का प्रभाव से शत्रु दमन दमन हो जाता है !
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