Sushruta Samhita आयुर्वेद एवं शल्यचिकित्सा का सबसे पुराना ग्रन्थ माना जाता है ! Sushruta Samhita संस्कृत भाषा में लिखा गया है ! इस ग्रन्थ में शल्य चिकित्सा के बारे हर जानकारी एवं उससे सम्बंधित उपायों का वर्णन विस्तार पूर्वक मिलता है !
आज के इस आर्टिकल में हम आप लोगो को सुश्रुतसंहिता के बारे में बताने बाले है और साथ में इससे होने वाले और भी लाभ इत्यादि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने वाला हूँ तथा साथ में आप सभी को मैं Sushruta Samhita Pdf भी देने वाला हूँ जिसे आप डाउनलोड करके पढ़ सकते है और उसका लाभ ले सकते है !
What is Sushruta Samhita in Hindi ?
सुश्रुत संहिता का रचनाकार प्राचीन भारत के प्रसिद्ध चिकित्साशास्त्री तथा शल्य चिकित्सक सुश्रुत थे ! इस ग्रन्थ को संस्कृत भाषा में लिखा गया है ! इस ग्रंथ सुश्रुत संहिता में शल्य क्रियाओं के लिए प्रयोग में लाने बाले यंत्रों (साधनों) तथा शस्त्रों (उपकरणों) का वर्णन किया गया है !
‘सुश्रुत संहिता’ में मनुष्य के पेट में कैंसर के कारण उत्पन्न हानिकर ऊतकों को शल्य क्रिया से हटाने का प्रक्रिया दिया गया है ! इस ग्रन्थ के माध्यम से आप किसी भी रोग को आसानी से दूर कर सकते हैं !
इस संहिता में कुल 186 अध्याय मिलता है ! 1120 रोगो 700 औषधीय पौधे खनिज श्रोत पर आधारित 64 प्रक्रियाओ जंतु श्रोतो पर आधारित 57 प्रक्रियाओ तथा 8 प्रकार की शल्य क्रियाओ का उल्लेख किया है !
Who is Sushruta ?
सुश्रुत ‘भारत में सर्जरी का पिता’ कहा जाता है ! सुश्रुत को विश्व पहला शल्य चिकित्सक कहा जाता है ! वे सिर्फ शल्य क्रिया ही नहीं बल्कि और भी कई तरह के रोग के विशेषज्ञ थे ! वे टूटी हड्डियों के जोड़ने, मूत्र नलिका में पाई जाने वाली पथरी निकालने, शल्य क्रिया द्वारा प्रसव कराने एवं मोतियाबिंद की शल्य-चिकित्सा में भी माहिर थे !
वे शल्य क्रिया करने से पहले अपने उपकरणों अच्छे से साफ किया करते थे और साथ ही उपकरण को गर्म किया करते थे, जिससे उपकरणों में लगे कीटाणु हो विषाणु सब नष्ट हो जाते थे ! वे शल्य क्रिया से पहले रोगी को मद्यपान कराते थे ताकि रोगी को नशा लग जाय और दर्द का आभाष न हो ! और साथ ही विशेष प्रकार की औषधियाँ भी दिया करते थे ! यह क्रिया संज्ञाहरण (Anaesthesia) के नाम से जानी जाती है ! इससे रोगी को शल्य क्रिया के दौरान दर्द की अनुभूति नहीं होती थी !
सुश्रुतसंहिता में आठ प्रकार शल्ययोग्य रोग/विकार वर्णित हैं:
- छेद्य (छेदन हेतु)
- भेद्य (भेदन हेतु)
- लेख्य (अलग करने हेतु)
- वेध्य (शरीर में हानिकारक द्रव्य निकालने के लिए)
- ऐष्य (नाड़ी में घाव ढूंढने के लिए)
- अहार्य (हानिकारक उत्पत्तियों को निकालने के लिए)
- विस्रव्य (द्रव निकालने के लिए)
- सीव्य (घाव सिलने के लिए)
Sushruta Samhita benefits in Hindi
ऐसे तो सुश्रुतसंहिता के बहुत सारे फायदे हैं क्योकि इसी संहिता के माध्यम से शल्य चिकित्सा का विकास हुआ लेकिन उसमे से कुछ महत्वपूर्ण फायदे कुछ इस प्रकार है !
- क्षतिग्रस्त नाक को फिर से बनाने का विधि बताया गया है !
- कान की लौ को फिर से ठीक कर सकते है !
- मूत्र थैली से पथरी को निकालना !
- घाव का उपचार,
- जले हुए का इलाज
- टूटी हड्डी जोडऩा,
- कोई आंतिरक फोड़ा,
- आंत और मूत्र थैली के छिद्रों से जुड़े उपचार,
- प्रोस्टेट का बढऩा,
- बवासीर का इलाज
Download Sushruta Samhita
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