Valmiki Ramayana PDF Free Download in Hindi

Valmiki Ramayana महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित एक अनुपम महाकाव्य है,इसमें भगवान राम और माता सीता के जीवन वृतांत के बारे में रचा गया है, आज हम इसी के बारे में बात करने वाले है!

जिसका हिंदू धर्म में बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान है इसके 24000 श्लोक हिंदू स्मृति का वह अंग है जिसके माध्यम से रघुवंश के राजा श्री राम की गाथा कही गई इसे Valmiki Ramayan भी कहा जाता है इस रामायण के 7 अध्याय हैं जो कांड के नाम से जाने जाते हैं !

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Valmiki Ramayana Pdf

About Valmiki Ramayana in Hindi

आप सभी में टेलीविज़न पर रामायण को देखा होगा, अगर नही देखा तो आपने 2020 में दूरदुर्शन पर फ्री में दिखाए जा रहे रामायण को तो देखा होगा, उस रामायण को महर्षि वाल्मीकि में लिखा है!

रामायण महाकाव्य हिन्दू धर्म का प्रसिद्ध और बहुत ही महवपूर्ण काव्य है जिसमे २४ हजार श्लोक है! इसके सभी श्लोक हिन्दू स्मृति का वह अंग है जिसके माध्यम से रघुवंश के राजा राम की गाथा को कही गयी है! जिसे हम Valmiki Ramayana भी कहते है!

What is Valmiki Ramayana?

अध्यात्म रामायण को ही विश्व का सर्वप्रथम रामायण माना जाता है ! हृदय परिवर्तन हो जाने के कारण एक व्यक्ति से ऋषि बन जाने तथा ज्ञान प्राप्ति के बाद महर्षि बाल्मीकि ने भगवान श्री राम के सिद्धांत को पुनः श्लोक बध किया ! महर्षि बाल्मीकि के द्वारा श्लोक बध पर भगवान श्री राम की कथा को बाल्मीकि रामायण के नाम से जाना जाता है बाल्मीकि को आदि कवि भी कहा जाता है तथा बाल्मीकि रामायण को आदि रामायण के नाम से भी जाना जाता है !

वाल्मीकि रामायण की रचना काल

कुछ भारतीय द्वारा यह माना जाता है कि यह महाकाव्य 600 ईसवी पूर्व से पहले लिखा गया था उसके पीछे युक्ति यह है कि महाभारत जो इसके पश्चात आया बौद्ध धर्म के बारे में मौन है यद्यपि उसमें जैन ,शैव, और पशुपद आदि अन्य परंपराओं का वर्णन है !


अतः रामायण गौतम बुद्ध के काल के पूर्व का होना चाहिए ! भाषा शैली से भी यह पन्नी के समय से पहले का होना चाहिए ! रामायण का पहला और अंतिम कांड संभवत बाद में जोड़ा गया था ! अध्याय 2 से 7 तक ज्यादातर इस बात पर बल दिया जाता है, कि श्री राम भगवान विष्णु के अवतार थे कुछ लोगों के अनुसार इस महाकाव्य में यूनानी और कई अन्य संदर्भ से पता चलता है ! कि यह पुस्तक दूसरी सदी ईसा पूर्व से पहले की नहीं हो सकती है !

यह धारणा विवादास्पद है , 600 ईस्वी पूर्व से पहले का समय इसलिए भी ठीक है कि बौद्ध जातक रामायण के पात्रों का वर्णन करते हैं, जबकि रामायण में जातक के चरित्रों का वर्णन नहीं है ! रामायण का समय त्रेतायुग का माना जाता है , भारतीय काल गणना के अनुसार समय को चार युगों में बांटा गया है !

चार युग

सतयुग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग


एक कलयुग 432000 वर्ष का द्वार पर 864000 वर्ष का त्रेतायुग 1296000 वर्ष का तथा सतयुग 1728000 वर्ष का होता है
1728000 वर्ष का होता है ! इस गणना के अनुसार रामायण का समय न्यूनतम 870000 वर्ष अर्थात वर्तमान कलयुग के 5250 वर्ष प्लस बी के द्वार पर योग के आठ लाख 64000 वर्ष मिलाकर सिद्ध होता है, दोस्तों बहुत से विद्वान इसका तात्पर्य ईसा पूर्व 8000 से लगाते हैं जो आधारहीन है अन्य विद्वान इसे इससे भी पुराना मानते हैं !

रामायण की रचना कैसे हुआ ?

ऋषि बाल्मीकि द्वारा श्लोक पद के बारे में बात करें तो सनातन धर्म के धार्मिक लेखन तुलसीदास जी के अनुसार पर प्रथम श्री राम की कथा भगवान शिव शंकर ने माता पार्वती को सुनाई थी ! यहां पर भगवान शंकर पार्वती को भगवान श्री राम की कथा सुना रहे थे वहां कागा अर्थात कौवा का घोंसला था और उसके भीतर बैठा कौवा भी उस कथा को सुन रहा था लेकिन कथा पूरी होने से पहले ही माता पार्वती को नींद आ गई पर उस कौवा ने पूरी कथा सुन ली ! उसी पक्षी का अगला जन्म काग भुसुंडि के रूप में हुआ , काग भुसुंडि नैया ने उस कथा को गरुड़ को सुनाई भगवान शंकर के मुख से निकली श्री राम की यह पवित्र कथा अध्यात्म रामायण के नाम से प्रख्यात है !

भारत में विदेशी सता हो जाने के बाद संस्कृत का नाश हो गया और भारतीय लोग उचित ज्ञान के अभाव तथा विदेशी सत्ता के प्रभाव के कारण अपनी इस संस्कृत को बोलने लग गए ऐसी स्थिति को अत्यंत विकट जानकर जन जागरण के लिए महा ज्ञानी संत तुलसीदास ने एक बार फिर से श्रीराम की पवित्र ग्रंथ को देसी भाषा में लिपिबद्ध किया संत तुलसीदास ने अपने द्वारा लिखित भगवान श्री राम की कल्याणकारी कथा से परिपूर्ण इस ग्रंथ का नाम राम चरित्र मानस रखा सामान्य रूप से राम चरित्र मानस को तुलसी रामायण के नाम से भी जाना जाता है ! महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण के साथ अध्याय हैं जो कि कांड के नाम से जाने जाते हैं !

वाल्मीकि रामायण के सातों कांड

  • बालकांड
  • अयोध्याकांड
  • अरण्यकांड
  • स्किंधा कांड
  • सुंदर कांड
  • युद्ध कांड ( लंका कांड)
  • उत्तरा कांड

इस प्रकार सात कांडों में ऋषि वाल्मीकि ने रामायण को निबंध किया है उपयुक्त कांडों में कथित शरवो की गणना करने पर संपूर्ण रामायण में 645 सर्ग मिलते हैं तरजा अनुसार श्लोक की संख्या 23440 आती है जो कि 24000 से 560 श्लोक कम है !

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