What does Dharmo Rakshati Rakshitah meaning?

धर्मो रक्षति रक्षितः का अर्थ है “जो धर्म की रक्षा करते हैं वे धर्म द्वारा संरक्षित होते हैं।” यह सूक्ति यह बहुत छोटा है लेकिन इसे बहुत बार दोहराया जाता है!

कुछ ऐसे छोटे सूक्ति है जिसे बहुत तोड़कर बताया जाता है, जिसके बारे में लोगो को ज्यादाकुछ पता नही होता है, इन छोटे सूक्ति का अर्थ तोड़कर बताने पर या तो बदल जाते है या फिर अधुरा रह जाता है !

What is Dharmo Rakshati Rakshitah?

Dharmo Rakshati Rakshitah

यह सूक्ति मनुस्मृति से लिया गया है! इसका साधारण अर्थ यह की आप जिस धर्म की रक्षा करते है वो धर्म आपकी रक्षा करता है, लेकिन यह पूरी सूक्ति कुछ और भी अर्थ बताती है!

मैं आप सभी को मनुस्मृति का पूरा श्लोक सुनाता हूँ फिर उसका अर्थ आप सभी के सामने आ जायेगा!

‘धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः। तस्माद्धर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत् ॥

Dharmo Rakshati Rakshitah यह पूरा श्लोक है और इसका अर्थ है ” मरा हुआ धर्म मारने वाले का नाश, और रक्षित धर्म रक्षक की रक्षा करता है। इसलिए धर्म का हनन कभी न करना, इस डर से कि मारा हुआ धर्म कभी हमको न मार डाले।’ “

आप इसका मतलब आप चाणक्य के इस विडियो से समझ सकते है!

धर्म का महत्व क्या है?

हमारे हिन्दू धर्म में सनातन धर्म को माना गया है, भारत का जो इतिहास है और आज के समय में हम जिस प्रकार से जीते है आज हम अपने धर्म पर बहुत गर्व करते है !

हम अपने धर्म पर चर्चा बहुत करते है, हमारे जीवन से धर्म और रिलिजन जिस प्रकार से जुड़ा रहा है! वो ही उपनिषद से लेकर हमारे गुरु और शिष्य के बीच में शिक्षा का आधार रहा है!

हमारे जीवन में धर्म हमारे जन्म लेने से लेकर हमारी मृत्यु तक हम धर्म का आचरण करते है, अगर हम अपने जीवन के किसी भी पहलु की बात करे चाहे वो राजनितिक जीवन हो, व्यक्तिगत जीवन हो, व्यवसायिक जीवन हो हम इससे जितना भटकते है वो हमारी उतनी ही हानि करता है!

धर्म मनुष्य के जीवन को कैसे प्रभावित करता है?

आज के समय में अगर मनुष्य धर्म का पालन नही करता है तो वह समाज से बिलकुल भी अलग हो जाता है, हमारा समाज आज अगर किसी वजह से एकत्रित है तो वह हमारे धर्म के वजह से है!

सभी लोगो को धर्म को लेकर सामान विचारधारा होती है जिससे हम एक दुसरे से जुड़ाव महसूस करते है!

अगर हम आज से100 वर्ष पूर्व की बात करे तो उस समय गुरुकुल हुआ करती थी, शक्तिपीठ हुआ करती थी जो हमारे धर्म के आचरण के बारे में और हमारी शिक्षा का ध्यान रखती थी !

हमारी आज की पीढ़ी को भारत में कितने शक्तिपीठ है उसके बारे में भी पता नही होगा, आज का युवा वर्ग धर्म के प्रति बहुत ही लापरवाह होते जा रहे है और उसका प्रभाव यह है की आज वो समाज को एकत्रित नही कर पा रहे है और उनसे कोई जुडाव महसूस नही कर पा रहे है !

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