हमारे धर्म ग्रन्थो के अनुसार Brahma Samhita को एक महत्वपूर्ण वैदिक ग्रन्थ माना जाता है, Brahma Samhita में सृष्टि के आरम्भ में सर्वोच्च भगवान कृष्ण को भगवान ब्रह्मा द्वारा दी गई प्रार्थनाएँ शामिल किया गया हैं !
Brahma Samhita एक संस्कृत पंचरात्र पाठ है, जो सृष्टि की शुरुआत में सर्वोच्च भगवान कृष्ण, या गोविंदा की महिमा करते हुए ब्रह्मा द्वारा बोली जाने वाली प्रार्थना के छंदों से बना है !
आज के इस अर्टिकल में आपको ब्रह्म संहिता के पढने का सबसे आसान तरीका बताऊंगा और साथ ही इससे होने बाले लाभ को पूरी जानकारी देने वाला हूँ तथा साथ में आप सभी को मैं Brahma Samhita Pdf भी देने वाला हूँ जिसे आप डाउनलोड करके पढ़ सकते है और उसका लाभ ले सकते है !
What is Brahma Samhita ?
ब्रह्म संहिता में कथित तौर पर 100 अध्याय दर्शाया गया हैं , और यह स्पष्ट है की ब्रह्म संहिता एक विशाल ग्रंथ है ! लेकिन , इस शास्त्र का अधिकांश भाग समय के साथ विलुप्त होता गया ! और हमारे पास जो बचा हुआ है, वह ब्रह्म संहिता का पाँचवाँ अध्याय है ! दक्षिण भारत के अपने दौरे के दौरान, श्री चैतन्य महाप्रभु ने आदि-केशव मंदिर से ब्रह्म संहिता के पाँचवें अध्याय को पुनः प्राप्त किया !
वृहद ब्रह्म संहिता से प्रमाण का उल्लेख करते हुए कहा कि एक बार भगवान राम बैठे थे, तभी उनके पास विष्णु भगवान, शेष भगवान और भौमा पुरुष भगवान आए ! उन्होंने कहा कि हमने सुना है आप श्रीधाम अवध में जन्म लेने वाले हैं !
ब्रह्म संहिता का पाच अध्याय क्या है ?
- इस अध्याय में भक्ति सेवा, आत्मा का वर्णन, सुपरसॉल और फलदायक गतिविधि, महा-विष्णु की उत्पत्ति और आध्यात्मिक दुनिया, विशेष रूप से गोलोका वृंदावन का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है !
- इस अध्याय में भगवान गणेश, गढ़भोड़केशी विष्णु की स्थिति, गायत्री मंत्र की उत्पत्ति, गोविंदा के रूप और उनकी पारलौकिक स्थिति और निवास, जीवित संस्थाओं, सर्वोच्च लक्ष्य, देवी दुर्गा, तपस्या का अर्थ, पाँच की स्थिति की व्याख्या की गई है सकल तत्व, देवत्व का प्रेम, अवैयक्तिक ब्राह्मण, भगवान ब्रह्मा की दीक्षा और पारलौकिक प्रेम की दृष्टि को दर्शाया गया है !
- इस अध्याय में भक्ति सेवा के चरणों को भी समझाया गया है !
- इस अध्याय में मन, योग-निद्र, भाग्य की देवी, सहज परमानंद में भक्ति सेवा, भगवान रामचंद्र, देवता के साथ शुरू होने वाले अवतार, आत्मा और उसके कर्तव्यों, भगवान विष्णु, प्रार्थना, वैदिक भजन, भगवान शिव के बारे में सच्चाई की व्याख्या करता है। , वैदिक साहित्य, व्यक्तित्व और अवैयक्तिकता, अच्छा व्यवहार और कई अन्य विषयों पर भी चर्चा की जाती है
- इस अध्याय में सूर्य और भगवान के सार्वभौमिक रूप का भी वर्णन है। इन सभी विषयों को संक्षेप में ब्रह्म-संहिता में संक्षेप में समझाया गया है !
ब्रह्मा जी की पूजा सर्वत्र क्यों नहीं होती है?
पूरे विश्व में पुष्कर भगवान ब्रह्मा के इकलौते मंदिर के लिए जाना जाता है, लेकिन आज हम आपको भारत में स्थित कुछ अन्य ब्रह्मा के मन्दिरों से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिनके बारे में शायद आप अभी तक नहीं जानते थे। पुष्कर में स्थित भगवान ब्रह्मा का मंदिर प्राचीन मन्दिरों में से एक है ! किंवदंतियों के अनुसार, भगवान ब्रह्मा अन्य देवतायों से थोड़ा अलग है, वह अपने भक्तों की भक्ति से तुरंत प्रसन्न होकर उनकी मुरादों को पूरा कर देते हैं !
ब्रह्म, परब्रह्म और पूर्ण ब्रह्म कौन हैं?
ब्रह्म – ईश – (क्षरपुरूष भी कहते हैं) ये नाशवान है !
परब्रह्म – ईश्वर – (अक्षरपुरूष भी कहते है) ये भी नाशवान है !
पूर्ण ब्रह्म – परमेश्वर- (परम अक्षरपुरूष भी कहते है) ये अविनाशी है !
ये तीन अव्यक्त परमात्मा कहलाते है जो गुप्त रहते है ये ब्रह्मा विषणु शिव जी की तरह माँ के गर्भ से जन्म नही लेते.. इनकी शक्ति मे अंतर है ! जैसे DC, CM, PM तीनो साहब है लेकिन शक्ति मे अंतर है ! ठीक इसी तरह ब्रह्म परब्रह्म पूर्णब्रह्म तीनो अव्यक्त परमात्मा है !
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ब्रह्म संहिता क्या है ?
ब्रह्म संहिता एक संस्कृत पंचरात्र पाठ है, जो सृष्टि की शुरुआत में सर्वोच्च भगवान कृष्ण, या गोविंदा की महिमा करते हुए ब्रह्मा द्वारा बोली जाने वाली प्रार्थना के छंदों से बना है !
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