Karva Chauth मुख्य रूप से सौभाग्यवती (सुहागिन) महिला मनाती हैं. Karva Chauth व्रत करीब ४ बजे शाम से शुरू होकर रात में चंद्रमा दर्शन के बाद पूर्ण किया जाता है ! कोई भी महिला अपने पति के सौभाग्य एवं लंबी उम्र हेतु हिंदू समुदाय की सारी महिलाओं द्वारा प्रति वर्ष एक खास दिन मनाया जाता है , उसी दिन को करवा चौथ कहा जाता है !
आज के इस अर्टिकल में आपको Karva Chauth पढने का सबसे आसान तरीका बताऊंगा और साथ ही इससे होने बाले लाभ को पूरी जानकारी देने वाला हूँ तथा साथ में आप सभी को मैं Karva Chauth Pdf भी देने वाला हूँ जिसे आप डाउनलोड करके पढ़ सकते है और उसका लाभ ले सकते है !
What is Karva Chauth in Hindi ?
करवा चौथ उपवास की एक रस्म है, जिसके बाद विवाहित हिंदू महिलाएं अपने पति की भलाई के लिए व्रत रखती हैं ! “करवा चौथ”, एक विशाल विश्वास के साथ प्राचीन भारतीयों की सबसे समृद्ध वैज्ञानिक समझ को दर्शाता है, जो कार्तिक के महीने में पूर्णिमा (पूर्णिमा) के बाद चौथे दिन महिलाओं को अपने जीवन साथी की लंबी उम्र के लिए पूरे दिन उपवास रखने देता है! करवा चौथ दिवाली से 9 दिन पहले और अक्टूबर-नवंबर के महीने में दशहरे के तुरंत बाद आता है!
इस व्रत के दौरान महिलाओं को पूरा दिन भूखे पेट अर्थात बिना जलपान ग्रहण किए बिना रहना पड़ता है! यह करवा चौथ किसी भी पति-पत्नी के लिए साल का बहुत खास दिन रहता है जिससे उनके एक दूसरे के प्रति लगाव एवं प्यार में वृद्धि होता है !
पहले यह पर्व सिर्फ सुहागिन महिला ही करती थी लेकिन आजकल न सिर्फ पर सुहागन महिलाएं बल्कि कुंवारी लडकिया भी करने लगी है ! अब सवाल ये है की महिला तो अपने पति की लम्बी उम्र के लिए ये पर्व करती लेकिन कुवांरी लडकिय क्यों करती है ?
कुवांरी लडकिया अपनर भविष्य में सुंदर, निरोगी और सौभाग्य पति की कामना करने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं ! इन लडकिया के लिए भी वही नियम और समय रखा जाता है , लडकियां को यह व्रत सुबह सूर्योदय से लेकर रात को चांद निकलने तक रखा जाता है और रात को चांद के दिखने के साथ ही महिलाओं द्वारा चंद्रमा को अर्ध्य अर्पित कर पति के हाथों द्वारा जल ग्रहण कर इस करवा चौथ व्रत को पूरा किया जाता है !
Karva Chauth fasting story in hindi
एक बार की बात है, वीरवती नाम की एक सुंदर रानी थी जो सात प्यारे और देखभाल करने वाले भाइयों में इकलौती बहन थी। अपनी शादी के बाद, उन्होंने अपने भाई की पत्नियों और मां के बाद पहले करवा चौथ का व्रत रखा। उसके भाइयों ने रात में उसके साथ खाना खाने के लिए कहा, हालांकि, उसने चंद्रोदय से पहले कुछ भी खाने से इनकार कर दिया।
उसके भाई उससे बहुत प्यार करते थे और अपनी बहन को उपवास की कठोरता से खड़े होकर चाँद के उगने का बेसब्री से इंतजार करते नहीं देख पा रहे थे। अपनी बहन की पीड़ा को देखकर सातों भाई बहुत परेशान हुए और उसने उसे धोखा देकर उसका उपवास समाप्त करने का फैसला किया।
तब भाइयों ने पीपल के पेड़ के पत्तों के माध्यम से आग की मदद से दर्पण जैसी छवि बनाई और अपनी बहन को व्रत तोड़ने के लिए कहा। वीरवती ने अपने भाई की पत्नियों से भी व्रत तोड़ने को कहा। परन्तु उन्होंने उस से कहा, तेरे भाई तुझे धोखा दे रहे हैं, चन्द्रमा अभी तक नहीं निकला था।
लेकिन वीरवती ने अपनी बात टाल दी। बहन ने इसे चंद्रोदय मानकर व्रत तोड़ा और भोजन किया। जैसे ही रानी ने खाना खाया, उन्हें खबर मिली कि उनके पति की मौत हो गई है। वह तुरंत अपने पति के पास गई और रास्ते में वह भगवान शिव और देवी पार्वती से मिली। उसने पूरी श्रद्धा के साथ कड़े अनुष्ठानों के तहत करवा चौथ की रस्में निभाईं और अपने पति को वापस जीवित कर दिया।
Ganeshji Katha
एक अंधी बूढ़ी औरत थी जिसके एक लड़का और एक बहू थी। वह बेचारी थी बड़ी गरीब! वह नेत्रहीन वृद्ध नित्यप्रति गणेशजी की पूजा करती थी! गणेशजी आमने-सामने आते थे और कहते थे कि जो चाहो मांग लो! बुढ़िया कहती थी कि मुझे नहीं पता कि कैसे पूछना है तो मैं और कैसे मांग सकता हूं? तब गणेशजी ने कहा, अपनी बहू से मांगो और मांगो !
जब बूढ़े ने अपने बेटे और बहू से पूछा तो बेंटा ने कहा कि वह पैसे मांगो और बहू ने कहा कि पोता मांगो! तब बुढ़िया ने सोचा कि दामाद अपने मतलब की बातें कह रहा है, तो उस बुढ़िया ने पड़ोसियों से पूछा तो पड़ोसी ने कहा कि बुढ़िया मेरी छोटी सी जान है, पैसे मांगो और पोता, तुम ही अपनी आंखें मांगो ताकि आपका संतुलन जीवन खुशी से व्यतीत हो !
बूढ़ी औरत ने बेटे और पड़ोसियों की बात सुनकर घर जाने की सोची ताकि बेटा बहू बने, और सब का भला, वह भी मांगे और पूछे कि उसका क्या मतलब है। दूसरे दिन जब श्री गणेशजी आए और बोले, बुढ़िया की क्या मांग है, हमारी बात है कि तुम क्या पूछोगे और तुम सो जाओगे ! गणेश की बात सुनकर बुढ़िया बोली- हे गणेशराज!
यदि तुम मुझ से प्रसन्न हो तो नौ करोड़ माया मुझे दो, पौत्र दो, स्वस्थ शरीर को जन्म दो, शाश्वत सुख दो, नेत्र ज्योति जलाओ और समस्त परिवार को सुख दो और अंत में मोक्ष दो! बूढ़ी औरत के बारे में सुनकर गणेश ने कहा, बूढ़ी माँ, तुमने मुझे धोखा दिया है! खैर, तुमने जो मांगा है, सब मिलेगा! यह कहकर गणेश जी गायब हो गए!
Karva Chauth Proccess
व्रत के दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान करने के पश्चात सबसे पहले मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये यह संकल्प करे !
- पूरे दिन निर्जला रहे
- शाम के समय मंदिर में पूजा करते समय भगवान शिव, मां पार्वती तथा भगवान श्री गणेश जी की पूजा करना चाहिए !.
- माता पार्वती को सुहाग की वस्तुओं अर्पित करें कथा फोटो में उनका श्रृंगार करना चाहिए !.
- तत्पश्चात सच्चे दिल से मां पार्वती का ध्यान करना चाहिए !
- सभी सुहागिन महिलाएं व्रत की कथा सुनें, तथा शाम को चंद्रमा के दर्शन के बाद ही पति के हाथों से जल ग्रहण करना चाहिए !
- तथा तत्पश्चात अंत में अपने पति, सास-ससुर बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेकर इस व्रत का समापन करना चाहिए !
Karva Chauth Pdf Download in Hindi
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