मार्शल लॉ क्या होता है? Martial Law, Meaning, Difination, imposed

मार्शल लॉ (Martial Law) एक प्रकार का क़ानून होता है जिसे किसी भी स्थान पर लगाया जा सकता है, यह आपात काल से बिल्कुल भिन्न होता है, अभी तक भारत में इसे कभी भी लागू नहीं किया गया है! यह किन परिस्थिति में में लगाया जा सकता है और इसे कहाँ पर लगाया जा सकता है!

मार्शल लॉ (Martial Law) को सरकार लगाती है यह उस देश की सेना लगाती है, के इस लेख में हम सभी लोग मार्शल लॉ के बारे में विस्तार से जानने वाले है! इसे लगाने से क्या क्या क्षेत्र प्रभावित होते है, उस समय स्थानीय जगह का प्रशासन किस अधिकारी या सरकार के पास होता है! इसमें आपके पास कौन कौन से अधिकार मिलते है और आपसे कौन – कौन से अधिकार को छीन लिया जाता है!

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मार्शल लॉ क्या होता है? (What is Martial Law)

Martial Law

किसी भी देश या देश के किसी भी हिस्से में कभी भी ऐसी परिस्थिति आ जाती है, जिसे देश की न्यायिक व्यवस्था और प्रशासनिक व्यवस्था की संभलना मुश्किल हो जाता है तो देश में या उस देश के उस हिस्से में कुछ ऐसे क़ानून लागू किया जाता है जिससे सरकार का नियंत्रण ख़त्म हो जाता है! इसे हम मार्शल लॉ कहते है या फिर इसे हम सैनिक क़ानून के नाम से भी जानते है!

मार्शल लॉ लागू होने के बाद उस क्षेत्र का पूरा नियंत्रण सेना के हाथ में चली जाती है! यह अधिकार सरकार और संसद के द्वारा सेना को दिया जाता है! जिस जगह पर मार्शल लगायी जाती है वहाँ पर पूर्ण रूप से सेना का शासन हो जाता है, और वे अपने हिसाब से उस क्षेत्र में क़ानून को लागू कर सकती है!

मार्शल लॉ की परिभाषा (definition of martial law)

किसी विशेष परिस्थिति में जब किसी देश की सेना न्याय व्यवस्था सेना अपने हाथ में ले लेती है, उसके बाद सेना के जो भी नियम प्रभावी होते है उन्हें हम मार्शल लॉ कहते है!

विशेष परिस्थिति जैसे :- युद्ध, अशांति, दंगे या क़ानून का उलंधन आदि में लागू किया जाता है! इसका मुख्य उद्देश्य समाज में व्यवस्था बनाये रखे जाने के लिए किया जाता है!

मार्शल लॉ कब लगाया जाता है (When is martial law imposed)

मार्शल लॉ (Martial Law) किसी भी देश में तब लगाया जाता है, जब किसी भी देश के नागरिक अशांति या राष्ट्रीय परेशानी या युद्ध की स्थिति जैसी आपातकालीन स्थिति बन जाती है! उस समय नागरिक सरकार के द्वारा कोई भी निर्णय लेना कठिन हो जाता है! ऐसे में सभी निर्णय सेना के द्वारा लिए जाते है, अतः उस स्थान पर सेना शासन करने लगती है !

इसे किसी भी देश में बन रही आपात स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए भी किया जाता है, इसे पूरे देश में नहीं लगाया जाता है, यह देश के उस छोटे हिस्से में भी लगाया जा सकता है, जहां इसे आपात स्थिति बनने की संभावना होती है या आपात की स्थिति होती है! मार्शल लॉ एक अस्थायी शासन व्यवस्था है जिसे देश संकट के लगाया जाता है !

मार्शल लॉ (Martial Law) लगने का मतलब यह नहीं होता है कि अब युद्ध होने वाला है, इसे इसलिए लगाया जाता है ताकि आपात कि स्थिति को नियंत्रण में लाया जा सके! इसे कई बार तख्ता पलट होने जाने पर या कोई बड़ी भीषण प्राकृतिक आपदा के आ जाने पर भी मार्शल लॉ को लगाया जा सकता है!

इसे कभी कभी युद्ध के दौरान या फिर युद्ध जीतने बाद भी लगा दिया जाता है, उदाहरण के लिए द्वितीय विश्व-युद्ध के बाद जर्मनी और जापान में इसे लागू किया गया था! अब तक पाकिस्तान में चार बार मार्शल लॉ लगाया जा चुका है!

मार्शल लॉ में प्रतिबंधित अधिकार (powers restricted in martial law)

मार्शल लॉ (Martial Law) या सैनिक क़ानून लागू होने के बाद आपके कुछ अधिकार प्रतिबंधित हो जाते है, इसका प्रावधान हमारे देश के संविधान में भी दिया गया है! हमारे संविधान के अनुच्छेद 34 में यह प्रावधान किया गया है कि हमारे मूल अधिकार तब प्रतिबंधित हो जाते है जब देश में कहीं पर भी मार्शल लॉ लागू हो!

हमारे संविधान में मार्शल लॉ (Martial Law) के शब्द के जगह पर सैन्य शासन शब्द की व्याख्या किया गया है! इस दौरान आप अपने मूल अधिकार के लिए इसे न्यायालय में चुनौती नहीं दे सकते है! मार्शल लॉ लागू हो जाने के बाद सभी सरकारी कर्मचारी और सरकारी कार्यालय भी सैन्य शासन के अधीन हो जाता है और उनके भी अधिकार निलंबित कर दिये जाते है!

मार्शल लॉ में सेना के अधिकार (powers of the army under martial law)

मार्शल लॉ (Martial Law) लागू हो जाने के बाद वहाँ के सेना को कुछ कुछ अधिकार मिलते है जो की निम्नलिखित है –

  • इस क़ानून के लागू हो जाने के बाद सेना का नियंत्रण हो जाता है और विशेष परिस्थिति में वहाँ पर कर्फ़्यू भी लगाया जा सकता है! और इसका उलंघन करने वाले व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ़्तार किया जा सकता है! आप बिना इजाज़त के प्रभावित क्षेत्र में नहीं घूम सकते है!
  • मार्शल लॉ लगने के बाद आपके मूल अधिकार निलंबित कर दिये जाते है! जैसे – नागरिक स्वतंत्रता , सभा और आंदोलन करने की स्वतंत्रता, इत्यादि को जो उस क्षेत्र को प्रभावित करता है वैसे सभी अधिकार को निलंबित कर दिया जा सकता है!
  • मार्शल लॉ के क्रियान्वयन के समय सैन्य प्रशासन के पास ज़रूरी कदम उठाने के लिए असाधारण अधिकार मिल जाते है, जैसे न्यायिक व्यवस्था को सैन्य ट्रिब्युनल के साथ बदल देते है और फिर वे सैन्य अधिकार का प्रयोग कर सकते है!
  • सैन्य क़ानून के लागू हो जाने के बाद सैन्य प्रशासन को ऐसे भी अधिकार मिल जाते है जो किसी मामले में नागरिकों के लिए मृत्युदंड तक लागू कर सकते है!
  • इसके लागू होने के बाद हैबियस-कार्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) से संबंधित क़ानून को भी निलंबित कर दिया जाता है! और गिरफ़्तार किए गये व्यक्ति को अनिश्चित काल तक जेल में रख सकती है! लेकिन इसे उच्चतम न्यायालय के आदेश पर बंदी बनाये गये व्यक्ति को पेश किया जा सकता है!

मार्शल लॉ और आपातकाल में अंतर (difference between martial law and emergency)

मार्शल लॉ (Martial Law) और नेशनल इमरजेंसी में क्या अंतर है, इसके बारे में संविधान के अनुच्छेद 34 के तहत मार्शल लॉ की घोषणा अनुच्छेद 352 के अन्तर्गत राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा से भिन्न है! अभी तक भारत में कभी भी मार्शल लॉ नहीं लगाया गया है, लेकिन जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी तब हमारे देश में राष्ट्रीय आपातकाल लगा दिया गया था!

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 के अनुसार राष्ट्रपति युद्ध, बाहरी आक्रमण, और आंतरिक अशांति के आधार पर संपूर्ण भारत में एक साथ राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा कर सकता है! 1975 में श्रीमती इंदिरा गांधी ने आंतरिक अशांति के आधार पर संपूर्ण भारत में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा की थी!

44 वें संविधान संशोधन 1978 के द्वारा आर्टिकल 352 में निम्नलिखित संशोधन किए गए आंतरिक अशांति के आधार पर सशस्त्र विद्रोह शब्द को अंतः स्थापित किया गया! साथ में यह भी जोड़ा गया कि राष्ट्रीय आपातकाल संपूर्ण भारत में एक साथ या उसके किसी एक भाग में लगाया जा सकता है और राष्ट्रपति आपातकाल की घोषणा मंत्रिमंडल के लिखित प्रस्ताव पर करेंगे !

भारतीय संविधान में मार्शल लॉ की कोई विशिष्ट प्रावधान नहीं है, यानी यह किस परिस्थिति या परिस्थितियों में लगाया जाएगा इसका कोई स्पष्ट विवरण नहीं है! एक संपूर्ण अध्याय आपातकालीन प्रावधानों को समर्पित किया गया है!

  • मार्शल ला केवल मौलिक अधिकारों को प्रभावित करता है लेकिन राष्ट्रीय आपातकाल में मौलिक अधिकारों संघीय योजनाओं शक्तियों का वितरण पर व्यापक प्रभाव पड़ता है!
  • मार्शल ला में मिलिट्री का काफी इंपॉर्टेंट रोल होता है लेकिन राष्ट्रीय आपातकाल में मिलिट्री का उतरा रोल नहीं होता है जब माशाल्लाह लगाया जाता है तो मिलिट्री का कंट्रोल ज्यादा हो जाता है!
  • राष्ट्रीय आपातकाल में शक्ति राज्य और केंद्र के बीच में वितरण हो जाता है सारी शक्ति केंद्र के हाथों में आ जाती है यानी शक्ति का केंद्रीय करण हो जाता है!
  • वहीं अगर हम मार्शल लॉ की बात करें तो मार्शल लाकर समय सरकार और सामान्य अदालत को सस्पेंड कर दिया जाता है। लेकिन राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान लोअर कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट यानी सामान्य अदालत काम करती रहती है सस्पेंड नहीं होती है!

क्या भारत में मार्शल लॉ लगाया जा सकता है? (Can martial law be imposed in India?)

अभी तक एक भी बार भारत में मार्शल लॉ (Martial Law) नहीं लगाया गया है जबकि भारत में एक बार आपातकाल की घोषणा 1975 में इंदिरा गांधी की सरकार में की जा चुकी है!

भारत में अगर कानून की व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो रही हो या भंग हो रही हो तो उस वक्त उस क्षेत्र में मार्शल लॉ (Martial Law) लगाया जा सकता है!
लेकिन अगर बाहर से युद्ध का खतरा हो रहा हो या फिर बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह हो तब आपातकाल लगाया जा सकता है!

मार्शल लॉ कितने देश में लगाया गया (martial law was imposed in how many countries)

मार्शल लॉ (Martial Law) अभी तक कुल 20 देशों में लगाया जा चुका है जिसमें से 4 बार पाकिस्तान में लगाया जा चुका है! इसमें ये देश निम्नलिखित है –

  • ऑस्ट्रेलिया :- ब्लैक वॉर, सन 1820 के दशक के मध्य से 1832 के दशक तक की अवधि तस्मानिया में ब्रिटिश उपनिवेशवादियों और आदिवासी ऑस्ट्रेलियाई लोगों के बीच हिंसक संघर्ष की अवधि थी. सन 1820 के दशक में हिंसा में वृद्धि होने की वजह से लेफ्टिनेंट – गवर्नर जॉर्ज आर्थर ने नवंबर 1828 में मार्शल लॉ लगाया था. यह 3 साल से भी अधिक समय तक लागू रहा. ऑस्ट्रेलिया के इतिहास में यह सबसे लंबी अवधि तक लागू रहा था.
  • ब्रूनेई :- 8 दिसंबर सन 1962 को यहाँ एक बहुत बड़ा विद्रोह हुआ था जिसे ब्रूनेई विद्रोह कहा जाता है, और उस समय ब्रिटिश सैनिकों ने उसे सिंगापुर से हटा दिया था, तब ब्रूनेई मार्शल लॉ के अधीन था.
  • कनाडा :- कोलोनियल युग में, 1775 – 1776 में अमेरिकी महाद्वीप कांग्रेस की सेना द्वारा, कनाडा पर आक्रमण के दौरान क्यूबैक प्रान्त क्षेत्र में मार्शल लॉ घोषित और लागू किया गया था. इसके बाद इसे सन 1837 – 1838 विद्रोह के दौरान लोअर कनाडा के क्षेत्र में दो बार लागू किया गया था.
  • चाइना :- चाइना में 20 मई सन 1989 में तियानानमेन स्क्वायर विरोध के दौरान राज्य परिषद द्वारा मार्शल लॉ लगाया गया था. इस विद्रोह को ’89 लोकतंत्र आंदोलन’ भी कहा जाता है, जिसे मार्शल लॉ लगने के बाद जबरन दबा दिया गया था.
  • इजिप्ट :- इजिप्ट यानि मिस्र में सन 1967 से आपातकाल की स्थिति थी, किन्तु उस समय इसकी घोषणा नहीं की गई. फिर सन 1981 में राष्ट्रपति अनवर अल – सदात की हत्या के बाद आपातकाल की स्थिति घोषित की गई थी. उस समय से यहाँ मार्शल लॉ लगा हुआ है. जिसे हर 3 साल में रिन्यू कर दिया जाता है.
  • इंडोनेशिया :- 18 मई सन 2003 को राष्ट्रपति के आदेश के तहत, एसे (Aceh) में एक सैन्य गतिविधि के दौरान, इंडोनेशिया सेना प्रमुख ने 6 महीने की अवधि के लिए मार्शल लॉ लगाया, ताकि वह एसेनीज़ अलगाववादियों को आक्रामक रूप से ख़त्म कर सके.  
  • ईरान :- 7 सितंबर, 1978 को ईरान में अयातुल्ला खोमेनी के बेटे की मौत से कथित सरकारी भागीदारी का विरोध और सार्वजानिक प्रदर्शन हुए, जिसके चलते मोस्तफा खोमेनी, शाह मोहम्मद रेज़ा पहलवी ने सेना के प्रमुख जनरल गुलाम अली ओवेसी को तेहरान राजधानी के सैन्य गवर्नर के रूप में नियुक्त किया. और 8 सितंबर को सरकार ने कई अन्य शहरों के साथ पूरे देश में मार्शल लॉ को प्रभावी रूप से घोषित कर दिया, जिसके बाद आगे कई विरोध प्रदर्शन हुए.
  • आयरलैंड :- सन 1916 में ईस्टर राइजिंग के दौरान, आयरलैंड के लेफ्टिनेंट लार्ड विम्बोर्न ने डबलिन में मार्शल लॉ घोषित किया. स्वतंत्रता के आयरिश युद्ध के दौरान ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा अधिकांश आयरलैंड में मार्शल लॉ घोषित किया गया था. बाद में इसे ब्रिटिश सरकार की सहमति से पूरे देश में बढ़ा दिया गया था.
  • इजराइल :- इजरायल के कुछ भौगोलिक क्षेत्रों जैसे नेगेव, गैलिली और ट्रायंगल में सन 1949 से 1966 तक बड़ी अरब आबादी वाली सैन्य प्रशासनिक सरकार प्रभाव में थी. उस समय इन क्षेत्रों में निवासी मार्शल लॉ के अधीन थे.
  • मॉरिशस :- मॉरिशस के लोकतंत्र को ‘वेस्टमिंस्टर’ शैली के रूप में जाना जाता है, लेकिन सन 1968 में यहाँ आपातकाल की स्थति उत्पन्न हुई थी, तब यहाँ मार्शल लॉ लगाया गया था.
  • पाकिस्तान :- पाकिस्तान में सन 1958 में हुए युद्ध के दौरान पहला मार्शल लॉ लगाया गया था, जोकि 7 अक्टूबर को वहां के तत्कालिक राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्ज़ा द्वारा लगाया गया था. इसके चार साल बाद यानि सन 1962 में संविधान का एक नया दस्तावेज लागू किया गया था. किन्तु अयूब खान के पाकिस्तान के राष्ट्रपति बनने के बाद उन्होंने एक अहम फैसला लिया. उन्होंने सन 1969 में, 1962 में लागू किये गये संविधान को रद्द कर दिया और वहां फिर से मार्शल लॉ घोषित कर दिया. इसके बाद यहाँ तीसरी बार भी मार्शल लॉ लगाया गया जोकि बांग्लादेश लिबरेशन युद्ध के बाद जुल्फिकार अली भुट्टो ने लगाया था. फिर 5 जुलाई सन 1977 को जनरल मुहम्मद जिला – उल – हक द्वारा लगाया गया था. 12 अक्टूबर, 1999 को प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की सरकार भंग कर दी गई थी, उस समय भी सेना ने एक बार फिर नियंत्रण संभाला. लेकिन यह मार्शल लॉ नहीं था.
  • फिलीपींस :- फिलिपीन्स के राष्ट्रपति द्वारा मार्शल लॉ 21 सितंबर 1944 को द्वीतीय विश्व युद्ध के दौरान लगाया था. इसके बाद देश सन 1972 से 1981 तक फर्डीनांड मार्कोस के प्रशासन के तहत फिर से मार्शल लॉ के अधीन था.
  • पोलैंड :- यहाँ लोकप्रियता और राजनीतिक शक्ति प्राप्त करने से लोकतांत्रिक विपक्ष को रोकने के लिए 13 दिसंबर 1981 को कम्युनिस्ट पोलैंड में मार्शल लॉ पेश किया गया था.
  • साउथ कोरिया :- अक्टूबर 1946 में कोरिया में संयुक्त राज्य आर्मी सैन्य सरकार ने डेगू दंगे के परिणामस्वरुप मार्शल लॉ घोषित किया. इसके बाद 17 नवंबर, 1948 को राष्ट्रपति सिंग्मन रिहे रेजिम ने जेजू विद्रोह को रद्द करने के लिए मार्शल लॉ घोषित किया था. 19 अप्रैल 1960 को सिंग्मन सरकार ने अप्रैल क्रांति को दबाने के लिए भी मार्शल लॉ घोषित किया.
  • सीरिया :- यहाँ सन 1963 के सीरियाई कूप डी’एटैट के बाद से अभी भी मार्शल लॉ का शासन है.
  • ताइवान :- द्वितीय विश्व युद्ध में चीन की जीत के बाद कई देश उसके नियंत्रण में थे जिसमे से एक ताइवान द्वीप था. सन 1949 में युद्ध में हारे हुए कुछ देशों के साथ यहाँ भी मार्शल लॉ घोषित किया गया था.
  • थाईलैंड :- थाईलैंड में भी मार्शल लॉ काफी सक्रिय रहा हैं. यहाँ सन 1912 में अपरिवर्तनीय पैलेस विद्रोह के चलते मार्शल लॉ लगाया गया था, इसके बाद सन 2004 में दक्षिण थाईलैंड विद्रोह के जवाब में कुछ प्रान्तों में मार्शल लॉ की घोषणा की गई. फिर सन 2006 में भी एक खूनी विद्रोह के चलते मार्शल लॉ घोषित किया गया. 20 मई 2014 को यहाँ नागरिक और राजनीतिक अशांति के चलते भी राष्ट्रव्यापी मार्शल लॉ घोषित किया गया था.
  • तुर्की :- सन 1923 में तुर्की गणराज्य की नींव के बाद से सेना ने तीन कूप डी’एटैट का आयोजन किया और मार्शल लॉ की घोषणा की. फिर सन 1978 में भी मार्शल लॉ लगया गया लेकिन उसे सन 2002 तक सीमित प्रान्तों में आपातकालीन स्थिति में बदल दिया गया.
  • यूक्रेन :- हालही में यूक्रेन में यहाँ के तटीय क्षेत्रों, रूस और ट्रान्सनिस्ट्रिया में मार्शल लॉ लगाये जाने के बारे में ख़बरें सामने आई है.   
  • अमेरिका :- संयुक्त राज्य अमेरिका में, सीमित परिस्थितियों में मार्शल लॉ का उपयोग किया गया है. जैसे न्यू ओरलेंस की लड़ाई के दौरान जापानी हमले के बाद, सन 1871 के ग्रेट शिकागो फायर एवं सन 1906 के सैन फ्रांसिस्को भूकम्प जैसी बड़ी आपदाओं के बाद और सन 1934 में विरोध प्रदर्शन और आंदोलनों आदि में यह लगाया गया था.

मार्शल लॉ के प्रभाव (effects of martial law)

जब भी कहीं किसी क्षेत्र में मार्शल लॉ (Martial Law) लगाया जाता है तो वहां के नागरिक और वह क्षेत्र काफी ज्यादा प्रभावित होता है, अभी तक जहां पर भी मार्शल लाल लगाया गया है वहां पर लोकतंत्र को बहुत भारी नुकसान हुआ है, ऐसा देखा गया है कि मार्शल ला के दौरान सिविलियंस या आम नागरिक बहुत ज्यादा प्रभावित होते हैं!

मार्शल लॉ (Martial Law) से प्रभावित क्षेत्रों में नागरिकों के सारे अधिकार खत्म कर दिए जाते हैं कोर्ट सही से काम नहीं कर पाते हैं भले ही देश में बाहरी आक्रमण हो देश खतरे में हो तब भी मार्शल लॉ का विरोध लोगों के द्वारा किया गया है !

मार्शल लॉ के महत्वपूर्ण तथ्य (Important facts of martial law)

मार्शल लॉ के बारे में ध्यान देने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं:-

  • मार्शल लॉ एक अंतिम उपाय है जो केवल चरम स्थितियों में लागू किया जाता है।
  • यह आम तौर पर सेना या अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा सरकार की मंजूरी के साथ लगाया जाता है।
  • मार्शल लॉ सीमित समय अवधि के लिए लगाया जा सकता है, लेकिन कुछ मामलों में इसे लंबे समय तक बढ़ाया गया है।
  • मार्शल लॉ के दौरान, सेना को गिरफ्तारी करने, नागरिकों को हिरासत में लेने और कानून लागू करने की शक्ति दी जा सकती है।
  • मार्शल लॉ में कुछ नागरिक स्वतंत्रताओं का निलंबन भी शामिल हो सकता है, जैसे मुक्त भाषण और विधानसभा का अधिकार, और मीडिया की सेंसरशिप।
  • मार्शल लॉ लागू करना अक्सर विवादास्पद होता है और जनता के कुछ सदस्यों द्वारा इसका विरोध किया जा सकता है।
  • कुछ मामलों में, राजनीतिक विरोध को दबाने या सत्तावादी शासन लागू करने के लिए मार्शल लॉ का इस्तेमाल किया गया है।

मार्शल लॉ क्यों लगाते हैं?

मार्शल लॉ (Martial Law) किसी भी देश में तब लगाया जाता है, जब किसी भी देश के नागरिक अशांति या राष्ट्रीय परेशानी या युद्ध की स्थिति जैसी आपातकालीन स्थिति बन जाती है! उस समय नागरिक सरकार के द्वारा कोई भी निर्णय लेना कठिन हो जाता है! तब मार्शल लॉ लगाया जाता है!

मार्शल लॉ कब लगाया जाता है ?

अगर कानून की व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो रही हो या भंग हो रही हो तो उस वक्त उस क्षेत्र में मार्शल लॉ (Martial Law) लगाया जा सकता है!

अब तक कितने देशों में मार्शल लॉ लगाया जा चूका है ?

अभी तक मार्शल लॉ 20 देशों में लगाया जा चुका है!

भारत में मार्शल लॉ कब लगाया गया ?

अभी तक भारत में मार्शल लॉ नहीं लगाया गया है!

मार्शल लॉ कितने दिनों तक रहता है?

मार्शल लॉ के लिए कोई निश्चित अवधि नहीं है! इसे अनिश्चित काल के लिए लगाया जा सकता है!

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